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UP में मौसम की मार; किसानों ने सरकार से की कुफरी बहार बीज की डिमांड, मिट्टी में नमी की वजह से सता रहा रोग का खतरा - Potato farming in Agra - POTATO FARMING IN AGRA

उद्यान विभाग के उपनिदेशक डॉ. धर्मपाल यादव बताते हैं कि, जिस तरह से बार-बार मौसम (Potato farming in Agra) बिगड़ रहा है. उससे आलू की फसल में रोग-बीमारी आने की संभावना अधिक है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 3, 2024, 1:15 PM IST

आगरा :देश के आलू उत्पादन में यूपी की अहम हिस्सेदारी है. यूपी में आलू की खेती और पैदावार की बात करें तो आगरा मंडल टॉप पर है. यूपी और आसपास के राज्यों में बार-बार बिगड़े मौसम और बारिश की वजह से आलू की बुवाई में देरी हो रही है. जिससे किसान बेहद चिंतित हैं. इस साल आलू की बुवाई से पहले किसान आलू बीज की प्रजाति के चयन पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. आगरा की बात करें तो किसानों ने सरकार से सबसे अधिक कुफरी बहार बीज की डिमांड की है. आइए, जानते हैं किसान आलू की बुवाई से पहले जिस कुफरी बहार बीज की डिमांड कर रहे हैं. उसकी खासियत क्या है. पैदावार कितनी रहती है?

आगरा में उद्यान विभाग के मुताबिक, सब्जियों के राजा आलू का रकबा जिले में 74-75 हजार हेक्टेयर है. आगरा मंडल में सबसे अधिक आलू का उत्पादन आगरा जिले में होता है. आगरा के विकास खंड खंदौली, एत्मादपुर, शमसाबाद, फतेहाबाद, बिचपुरी, बरौली अहीर में आलू उत्पादन सबसे अधिक होता है.

आगरा मंडल में अच्छी पैदावार : उद्यान विभाग के उपनिदेशक डॉ. धर्मपाल यादव बताते हैं कि, जिस तरह से बार-बार मौसम बिगड़ रहा है. उससे आलू की फसल में रोग-बीमारी आने की संभावना अधिक है. खेतों की मिट्टी में इस बार ज्यादा नमी है. इस वजह से आलू प्रजातियों में रोग-बीमारियां आने की संभावना ज्यादा है. जिन प्रजातियों में पानी की मात्रा ज्यादा है. उनके अंकुरण से लेकर कंद बनने तक रोग-बीमारी की चपेट का डर बना रहता है. कुफरी बहार में पानी कम होता है. छिलका भी मजबूत होता है. इसकी आगरा मंडल में अच्छी पैदावार है इसलिए किसान कुफरी बहार आलू के बीज की डिमांड कर रहे हैं. जिससे मिट्टी में सड़ने का खतरा कम है. इसका अंकुरण ठीक होता है.

ये भी आलू की अच्छी प्रजातियां :हर साल की तरह इस बार भी आगरा के किसानों के लिए कुफरी बहार आलू की प्रजाति, ख्याति आलू की प्रजाति, मोहन आलू की प्रजाति, गंगा आलू की प्रजाति, पुखराज आलू की प्रजाति, नीकंठ आलू की प्रजाति, सूर्या आलू की प्रजाति, गरिमा आलू की प्रजाति, चिप्सोना आलू की प्रजाति अच्छी है.

किसानों की डिमांड पर आएगा आलू का बीज :जिला उद्यान विभाग अनीता सिंह ने बताया कि जिले में आलू के बीज के लिए किसान 5 अक्टूबर तक आवेदन कर सकते हैं. अभी करीब 800 आवेदन आ चुके हैं. किसान अपना आवेदन संजय प्लेस कार्यालय से लें और वहां पर ही जमा कराएं, जितने किसानों के आवेदन आएंगे उतने ही किसानों की डिमांड के मुताबिक मुख्यालय से आलू के बीज प्रजाति की डिमांड की जाएगी. मुख्यालय से आवंटन के बाद ही किसानों को आलू का बीज वितरित किया जाएगा.

किसान करा रहे सिफारिशी कॉल :बता दें कि उद्यान विभाग ने जिले के किसानों के लिए लगभग आठ हजार कुंतल आलू के बीज की डिमांड शासन से की है. किसानों की डिमांड डबल है. उन्हें ज्यादा से ज्यादा बीज विभाग से चाहिए. जिले के किसान जिस तरह से आलू के बीज की डिमांड कर रहे हैं, उससे उद्यान विभाग के अधिकारियों पर प्रेशर है. अभी से किसान अपने लिए आलू के बीज कुफरी बहार के लिए सिफारिशी कॉल करा रहे हैं.

मौसम ने बदल दिया किसानों का मन :किसानों ने बताया कि, जिस तरह से मौसम का मिजाज है उससे आलू की फसल में नुकसान की संभावना अधिक है. ऐसे में कुफरी बहार ही आलू की एक ऐसी प्रजाति है जो ऐसे मौसम में सही है. इसकी वजह ये है कि आलू की अन्य प्रजातियों की इस नमी वाले मौसम में बुवाई करने से कंद सड़ने की संभावना अधिक है. जबकि, कुफरी बहार की बुवाई से ये दिक्कत नहीं आएगी.

बुवाई से पहले आलू का बीज उपचारित करें :आगरा के बिचपुरी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि, इस मौसम में किसान आलू की बुवाई में जल्दबाजी ना करें. इस मौसम की वजह से आलू के बीज अच्छी तरह से उपचारित करें. इस साल अभी तक हुई बारिश की वजह से मिट्टी में नमी अधिक है. नमी की वजह से आलू की फसल में जड़ गलन जैसे रोगों का खतरा अधिक रहेगा, इसलिए पहले ही आलू की बुवाई से पहले बीज को उपचारित कर लें.

उद्यान विभाग से मिलेंगी ये प्रजाति :यूपी सरकार हर साल प्रदेश के किसानों को आलू का उन्नत किस्म का बीज देती है. सरकार की ओर से जिलेवार आलू का बीज वितरण किया जाता है. आगरा की बात करें तो पिछले साल सरकार ने लगभग 4800 कुंतल आलू का बीज किसानों को दिया था. जिसमें कुफरी बहार, ख्याति, चिप्सोना-1, चिप्सोना-2, सूर्या, केसर, मोहन और पुखराज समेत अन्य प्रजातियां शामिल थीं.

इस साइज का आलू बीज :उद्यान विभाग के अधिकारी के मुताबिक, शासन की ओर से किसानों को आलू का बीज तीन रूप में जाएगा. जिसमें पहला एफ-1, दूसरा एफ-2 और तीसरा ओवर साइज होता है. आलू की अधिकतर मात्रा एफ-1 और एफ-2 साइज की बुवाई होती है. प्रदेश में किसान भी सबसे अधिक एफ-1 और एफ-2 साइज के बीज की मांग करते हैं.

सरकार देती है किसानों को सब्सिडी :यूपी सरकार हर साल प्रदेश के आलू किसानों को कम दाम पर अच्छी वैरायटी की आलू की प्रजाति का बीज उपलब्ध कराती है. सरकार इसके साथ ही किसानों को सब्सिडी देती है, इसलिए सरकार के आलू के बीज के लिए मारामारी होती है. प्रदेश में किसानों को आलू के बीज पर पिछले साल एक हजार रुपये प्रति कुंतल की सब्सिडी दी गई थी.

आलू बीज की कलम करके बुवाई ना करें :उद्यान विभाग के उप निदेशक धर्मपाल यादव बताते हैं कि किसानों को आलू की बुवाई करने से पहले कई सावधानियां बरतनी चाहिए. सबसे पहले आलू की बुवाई से पहले मिट्टी की जांच जरूर कराएं. जिससे जमीन में मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी मिलेगी. उसके मुताबिक ही आलू की बुवाई के दौरान खाद डालें. आलू के बीज को अच्छी तरह से उपचारित करें. किसानों से अपील है कि आलू बीज को कलम करके बुवाई नहीं करें.

आलू की बुवाई का समय :देश के अलग-अलग प्रदेश में जलवायु के हिसाब से आलू की खेती की जाती है, जिसमें दो अगेती और एक पिछेती की खेती होती है. आलू की अगेती बुवाई 15 सितंबर से 25 सितंबर तक होती है. आलू की पछेती बुवाई 15 अक्टूबर से 25 अक्टूबर के बीच करनी चाहिए. मगर, देश में तमाम किसान 15 नवंबर से 25 दिसंबर के बीच भी आलू की पछेती बुवाई करते हैं.

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