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उत्तराखंड में समय से 2 महीने पहले खिले फ्योंली के फूल, पर्यावरणविदों ने जताई चिंता - FYONLI FLOWER

मार्च के दूसरे हफ्ते में खिलती थी फ्योंली, रुद्रप्रयाग की केदारघाटी में जनवरी में ही खिल गई

Fyonli Flower
समय से 2 महीने पहले खिला फ्योंली का फूल (PHOTO- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 20, 2025, 5:01 PM IST

रुद्रप्रयाग:केदारघाटी के खेत-खलिहानों में मार्च माह के दूसरे सप्ताह में खिलने वाले फ्योंली के फूल के जनवरी माह के तीसरे सप्ताह में खिलने से पर्यावरणविद् खासे चिन्तित हैं. फ्योंली के फूलों के जनवरी माह में खिलने पर कोई जलवायु परिवर्तन मान रहे हैं तो कोई प्रकृति के साथ मानवीय हस्तक्षेप. भले ही निर्धारित समय से दो माह पूर्व फ्योंली के फूल खिलने का कारण कुछ भी हो, मगर दिसंबर से लेकर फरवरी माह तक बर्फबारी से लकदक रहने वाले खेत- खलिहानों में जनवरी माह में फ्योंली के फूल खिलना भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं माना जा रहा है.

दो दशक पूर्व की बात करें तो चैत्र मास के आगमन पर फ्योंली और बुरांस के फूल खिलते दिखाई देते थे. फ्योंली का फूल बसंत आगमन और ॠतु परिवर्तन का द्योतक माना जाता था और चैत्र मास आगमन पर नौनिहालों द्वारा घरों की चौखटों में ब्रह्म बेला पर फ्योंली, बुरांस समेत अनेक प्रजाति के फूलों को बिखेर कर बसंत आगमन के संदेश देने की परंपरा युग-युगांतरों से लेकर आज भी जीवित है.

मार्च में खिलने वाले फ्योंली के फूल जनवरी माह के तीसरे सप्ताह में खिले (PHOTO- ETV Bharat)

फ्योंली के फूलों की महिमा और सुंदरता की महिमा का गुणगान गढ़ गौरव नरेंद्र सिंह नेगी ने भी बड़े मार्मिक तरीके से किया है. जबकि संगीतकारों, साहित्यकारों और चित्रकारों ने भी फ्योंली के फूल की महिमा को जन-जन तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया है. फ्योंली के फूल के निर्धारित समय से पूर्व खिलने से पर्यावरणविद् खासे चिंतित हैं.

मदमहेश्वर घाटी रासी गांव के शिक्षाविद भगवती प्रसाद भट्ट बताते हैं कि दो दशक पूर्व फरवरी माह तक अधिकांश खेत-खलिहान बर्फबारी से लकदक रहते थे. जबकि मार्च महीने में ही फ्योंली के फूलों में नव ऊर्जा का संचार देखने को मिलता था. लेकिन मार्च महीने के दूसरे सप्ताह में फ्योंली का फूल पूर्ण यौवन पर रहता था.

पर्यावरण विशेषज्ञ देव राघवेंद्र बद्री ने कहा कि जनवरी माह में फ्योंली का खिलना भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं. प्रकृति के साथ मानवीय हस्तक्षेप बंद नहीं हुआ तो भविष्य में गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.

क्या है फ्योंली? फ्योंली उत्तराखंड में अपने आप उगने वाला एक जंगली फूल है. ये उत्तराखंड में हिमालयी क्षेत्रों में उगता है. फ्योंली के फूल को यलो फ्लेक्स और गोल्डन गर्ल भी कहा जाता है. फ्योंली के फूल का वैज्ञानिक नाम 'रेनवार्डिया इंडिका' है. उत्तराखंड में ये फूल करीब 1,800 मीटर की ऊंचाई पर खिलता है. खास बात ये है कि इस सुंदर पीले फूल में कोई खुशबू नहीं होती.

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