बीकानेर. वैदिक ज्योतिष परंपरा में बृहस्पति को देवगुरु माना गया है और जन्म कुंडली में बृहस्पति की अनुकूल स्थिति जातक को सुख, वैभव, धन, संपदा, मंगलमय जीवन, सुखद विवाह, संतान सुख, विधा, मान-सम्मान प्रदान करते हैं. इसके विपरीत नीच राशि, शत्रु राशि, अशुभ ग्रहों से युक्त या दृष्ट बृहस्पति जीवन में कष्टों में बढ़ोतरी करते हैं. जातक के जीवन में धन का अभाव, सुख संपदा में कमी, गृह क्लेश, संतान सुख व सम्पनता में कमी हो जाती है. बीकानेर के ज्योतिर्विद डॉ. आलोक व्यास के अनुसार अलग-अलग राशियों पर इसका प्रभाव देखने को मिलता है.
ये होता असर :अपनी शत्रु राशि में प्रवेश करने पर समाज में नैतिकता, ज्ञान कौशल और अन्न उत्पादकता में कमी हो सकती है. साथ ही भौतिकता में वृद्धि के संकेत भी दृष्टिगोचर होंगे. बृहस्पति ग्रह के वृषभ राशि मे प्रवेश करने पर विभिन्न राशियों पर निम्न उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे.
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मेष : पारिवारिक कार्य या पारिवारिक जिम्मेदारी की अधिकता, स्थाई परिसंपत्ति निर्माण के लिए प्रयास, नेत्र या वाणी दोष, मानसिक पीड़ा में कमी देखने को मिलेगी.
वृषभ:आत्मछवि को लेकर असंतुष्टि, एकांतवास की इच्छा, चिंतन और मनन, व्यय में कमी, आर्थिक अनुकूलता दिखेगी.
मिथुन: व्यय में बढ़ोतरी, आर्थिक प्रतिकूलता, सुदूर प्रांत या विदेश भ्रमण की इच्छा, आमोद प्रमोद में समय व्यतीत, व्यापार में हानि की संभावना है.
कर्क:आय में वृद्धि के लिए प्रयासों की अधिकता, संपर्क सूत्र में बढ़ोतरी के लिए प्रयास, बड़े भाई बहन से संबंधित चिंता या उनसे मतभेद, कार्य क्षेत्र में अनुकूलता देखने को मिलेगी.