रांची: देश में संभव है कि ऐसा पहली बार होगा जब केंद्रीय एजेंसी यानी प्रवर्तन निदेशालय के अफसर को राज्य पुलिस के थाने में जाकर एफआईआर से जुड़े मामले में अपना पक्ष रखना होगा. लैंड स्कैम मामले में 31 जनवरी को गिरफ्तारी से पहले पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने ईडी के एडिशनल डायरेक्टर कपिल राज समेत समेत कई अफसरों के खिलाफ एसटी-एससी थाने में नामदर्ज प्राथमिकी दर्ज कराई थी. उनका आरोप था कि उनकी गैरमौजूदगी में 29 जनवरी 2024 को दिल्ली आवास और झारखंड भवन में कैसे सर्च ऑपरेशन चलाया गया. उनका आरोप था कि ऐसा कर एक आदिवासी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने की कोशिश की गई है.
सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत हुई नोटिस जारी
इस मामले में पुलिस ने ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर देवव्रत झा, अनुपम कुमार, अमन पटेल को सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत नोटिस जारी कर पक्ष रखने के लिए बुलाया है. दोपहर 12.30 तक ईडी का कोई अधिकारी गोंदा थाना नहीं पहुंचा था. मामले के अनुसंधानकर्ता इंस्पेक्टर नवल सिन्हा हैं. जानकारी के मुताबिक, एडिशनल डायरेक्टर कपिल राज को 21 मार्च को पक्ष रखने के लिए बुलाया गया है. दूसरी तरफ पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के मीडिया सलाहकार रहे अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू से ईडी दफ्तर में पूछताछ चल रही है.
सीआरपीसी की धारा 41 ए में क्या है प्रावधान
दरअसल, किसी के खिलाफ दर्ज शिकायत में सात साल के कम अवधि की सजा का प्रावधान होने पर संबंधित शख्स को गिरफ्तार करने से पहले पुलिस को नोटिस जारी करना होता है. इस धारा के तहत पुलिस बिना नोटिस जारी किए किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर सकती है. नोटिस के बावजूद पुलिस के समक्ष हाजिर नहीं होने पर पुलिस कोर्ट से वारंट ले सकती है.
पिछले साल रायपुर में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेने के लिए जाने के दौरान कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को दिल्ली एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया गया था. उनपर पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी का आरोप लगा था. लेकिन पवन खेड़ा के वकील ने कोर्ट में दलील दी थी कि गिरफ्तारी से पहले पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत नोटिस जारी नहीं किया था. इसपर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने अंतरिम जमानत देने का आदेश दिया था.
हेमंत सोरेन ने ईडी अफसरों पर दर्ज करवाई थी प्राथमिकी