धौलपुर: शासन और सरकारें बुनियादी ढांचे को कितनी ही मजबूत करने का दावा करें, लेकिन धरातल पर हालात कुछ और ही नजर आते हैं. ऐसा ही एक मामला धौलपुर जिले के बाड़ी उपखंड क्षेत्र की कुदिन्ना पंचायत में देखने को मिला है. पंचायत के पांच गांव आज भी विकास की बाट जोह रहे हैं. बिजली और सड़क ग्रामीणों की प्रमुख समस्या है. आजादी से लेकर अब तक इन गांवों में बिजली और सड़कें नहीं पहुंच सकी हैं. नेताओं की चौखटों पर सालों से ग्रामीण धोक लगा रहे हैं, लेकिन हर जगह से ग्रामीणों को निराशा हाथ लग रही है.
केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा गांवों के विकास के लिए तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं. प्रधानमंत्री सहज बिजली योजना एवं प्रधानमंत्री सूर्य योजना देश और प्रदेश में जोरदार तरीसे से चल रही है, लेकिन इन योजनाओं से कुदिन्ना पंचायत के गांव मगजीपुरा, लेसपुरा, सिघररो, पछेड़िया पुरा और उटुआ पुरा आज भी वंचित हैं. आजादी से लेकर अब तक ग्रामीणों को बिजली नसीब नहीं हो पाई है. इन पांचों गांवों में शाम होते ही अंधेरा छा जाता है. उजाले के लिए लोग आज भी मोमबत्ती एवं अन्य संसाधनों का उपयोग करते हैं.
सबसे अधिक समस्या पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए हो रही है. गांव में स्कूल है, लेकिन बिजली नहीं होने की वजह से बच्चे तकनीकी शिक्षा से वंचित रह रहे हैं. कंप्यूटर शिक्षा का बच्चों को ज्ञान नहीं मिल रहा है. तकनीकी शिक्षा के उपकरण स्कूलों में शोपीस बनकर रह गए हैं. स्थानीय महिला लीला देवी ने बताया कि 60 वर्ष की उम्र हो गई है. करीब 45 साल पहले गांव में ब्याह होकर आई थी, तभी से लेकर आज तक इन पांच गांवों को बिजली नहीं मिल पाई है. गर्मियों के मौसम में घुट घुट कर ग्रामीणों को मारना पड़ता है.
डांग क्षेत्र में तापमान अधिक होने की वजह से ग्रामीणों को पलायन भी करना पड़ता है. इसके अलावा सबसे अधिक समस्या युवक एवं युवतियों के लिए खड़ी हो गई है. बुनियादी समस्याओं का अंबार होने के कारण लोग युवाओं की शादी करने से कतराते हैं. ऐसे में गांव के अंदर कुंवारों की संख्या बढ़ती जा रही है. स्थानीय ग्रामीण देवीराम ने बताया कि नेता और प्रशासन के अधिकारियों की चौखटों पर सालों से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन हर बार ग्रामीणों को निराशा हाथ लगती है.