देहरादून/उत्तरकाशी/पौड़ी: आज से भगवान शिव की भक्ति और आराधना का पर्व सावन शुरू हो गया है. इस बार सावन का महीना सोमवार को शुरू हो रहा है और सोमवार के ही दिन खत्म हो रहा है. सूबे के तमाम मंदिरों में सावन के महीने की शुरुआत यानी पहले सोमवार पर भक्तों का जमावड़ा देखने को मिला. देहरादून के टपकेश्वर महादेव मंदिर पर भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए सुबह से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया. भक्त दर्शन और जलाभिषेक करने के लिए काफी उत्सुक नजर आए.
शिव भक्ति के लिए सावन का महीना सबसे खास:मंदिर के पुजारी भरत गिरी महाराज ने बताया कि सावन की शुरुआत सोमवार से हो रही है और सोमवार को भगवान से शिवालय में अपने सौम्य रूप में विराजमान होते हैं. यह मौका भक्तों के लिए उनकी भक्ति करने के लिए बेहद खास होता है. उन्होंने बताया कि सावन मास भगवान शिव के लिए बेहद खास होता है. क्योंकि, इस महीने पूरी धरती हरी भरी होती है.
भगवान शिव का सबसे प्रिय प्रसाद भांग भी इस मौसम में सबसे ज्यादा देखने को मिलती है. उन्होंने कहा कि भगवान शिव इस महीने अपनी भक्ति करने वालों का कल्याण करते हैं और जो भी इस पूरे सावन महीने भगवान शिव की भक्ति में लीन रहता है, एक वक्त का आहार लेता है और भगवान शिव के लिए व्रत रखता है. भगवान से उससे प्रसन्न होकर उसकी मनोकामना पूरी करते हैं.
देहरादून के टपकेश्वर मंदिर में होंगे भव्य आयोजन:देहरादून के पौराणिक शिवालय टपकेश्वर महादेव मंदिर में हर साल सावन के महीने भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए भक्तों का बड़ा सैलाब उमड़ता है. वहीं, शिवालय के मुख्य पुजारी भरत गिरी महाराज ने बताया कि इसी सावन के महीने एक भव्य शोभायात्रा का भी आयोजन किया जाएगा. जो कि इस बार रक्षाबंधन से 2 दिन पहले यानी 17 अगस्त को होगा. यह शोभायात्रा पूरी नगर परिक्रमा कर टपकेश्वर महादेव में लौटेगी. साथ ही उन्होंने कहा कि इस बार की शोभायात्रा भगवान राम को समर्पित होगी.
उत्तरकाशी में भगवान शिव के साथ शनिदेव की होती है पूजा:उत्तरकाशी में एक शिव मंदिर ऐसा भी है, जहां शिव के साथ शनि देव की भी पूजा होती है. यह शिव मंदिर जोशियाड़ा का कालेश्वर महादेव मंदिर है. माना जाता है कि अगर कोई सच्चे मन से भगवान शिव और शनि की पूजा या अर्चना करता है तो उसके सारे संकट दूर हो जाते हैं. यही वजह है कि यहां दर्शन और पूजन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.
बता दें कि पौराणिक कालेश्वर महादेव मंदिर उत्तरकाशी जिला मुख्यालय के जोशियाड़ा क्षेत्र में स्थित है. मंदिर के मुख्य पुजारी ब्रह्मानंद पुरी बताते हैं कि यहां कभी खेतों में हल लगाते समय शिवलिंग हल से टकराया था. जब पत्थर समझकर उसे निकालना चाहा तो वो और नीचे चला गया. चार से साढ़े पांच फीट गहराई में जब गणेश, अंबा, कार्तिकेय, शिव परिवार की मूर्तियां मिली तो वो शिवलिंग उससे नीचे नहीं गया.