कुल्लू: कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु चार माह की निद्रा से जाग रहे हैं और इसे देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. यह हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि या 11वें दिन मनाई जाती है. आज, 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जा रही है. आज ही के दिन से शुभ कार्य भी शुरू हो जाएंगे. आज के दिन भक्त भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए माता लक्ष्मी के साथ उनकी पूजा करते हैं.
आचार्य आशीष कुमार का कहना है कि, 'देवउठनी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है और भगवान विष्णु की इस दिन विधिपूर्वक पूजा की जाती है. इस दिन भक्तों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. इस देवउठनी एकादशी के दिन घर में तामसिक भोजन नहीं बनाना चाहिए और न ही उसका सेवन करना चाहिए.'
इन बातों का रखें ध्यान
- किसी भी प्रकार की गंदी या फिर अभद्र भाषा का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए.
- इस दिन चावल का सेवन भूलकर भी नहीं करें.
- घर में लगे तुलसी के पौधों से पत्ते को भी न तोड़ें, क्योंकि मां लक्ष्मी एकादशी का व्रत रखती हैं और व्रत के दौरान तुलसी के पत्ते तोड़ने से व्रत खंडित होता है.
- घर और परिवार में किसी से भी वाद-विवाद न करें.
- जुआ सहित अन्य कार्यों में धन की बर्बादी न करें.
- घर में बड़े बुर्जुगों और महिलाओं का अपमान न करें.
- इस दिन विशेष रूप से घर को गंदा न रखें, क्योंकि मां लक्ष्मी का वास साफ-सफाई वाली जगह पर होता है.