फर्रुखाबाद:जिले में शुक्रवार को भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा हुई और गणपति की स्थापना की गयी. इस मौसम में धान की पैदावार होती है. खील से महाविष्णु, महालक्ष्मी और महागणपति की पूजा और हवन किया जाता है. पूर्णिमा के दिन कार्तिक दर्शन शुभदायी माना जाता है. पूर्णिमा पर कई कुलों के देवता श्री आस्तिक महाराज की जयंती हुई.
इस बार भी दुर्वासा ऋषि आश्रम घाट पर श्री कैलाश सेवा संस्थान की ओर से महाआरती हुई. महाआरती में प्रथम मंगलाचरण, शान्तिपाठ, श्रंगार, संकल्प वैदिक सभ्यता के लिए किया गया. आचार्य प्रदीप नरायन शुक्ल, अभय नरायन, प्रियम, शौर्य, अभय ने बनारस की तर्ज पर शिवताण्डव, गंगालहरी, भजन, गणपति, शिव गंगा आरती की. काल सर्प दोष मुक्ति के लिए 1100 जोड़ा तांबे के सांपों को पूजा के बाद गंगा में प्रवाहित किया गया.
श्री कैलाश सेवा संस्थान की ओर से महाआरती हुई. (Photo Credit- ETV Bharat) इसके अलावा 11 हजार घी के दीपों से दीपदान हुआ. आरती में शामिल सभी भक्तों ने मां गंगा का आर्शीवाद लेकर प्रसाद ग्रहण किया. संस्था अध्यक्ष आचार्य प्रदीप नरायन शुक्ल ने बताया कि संस्था की ओर से वैदिक रीति से पिछले 12 वर्षों से आरती की जा रही है. आरती पांच प्रकार से की जाती है. आरती दो घण्टे की होती हैं. आरती में सम्मिलित होने वालों को मां गंगा, संस्कृत-संस्कृति-गाय तथा स्वच्छता के लिए संकल्प दिलाया जाता है.
वैदिक रीति से पिछले 12 वर्षों से आरती की जा रही है. (Photo Credit- ETV Bharat) उन्होंने कहा कि आरती में शामिल होने वाले भक्तों को अनेक प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है. धीरे-धीरे विलुप्त हो रही सनातन संस्कृति को सहेजने के लिए समय-समय पर इस तरह के प्रोग्राम किए जाते हैं. विदेशी लोग हमारी संस्कृति को अपना रहे हैं. भारत इसका जनक रहा है. इस अवसर पर सैकड़ों भक्त मौजूद रहे.
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