नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट ने यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण के मामले को ध्यान में रखते हुए एक अनधिकृत कॉलोनी के निवासियों को जारी बेदखली नोटिस पर रोक लगाने से मना कर दिया. मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान कहा कि प्रदूषण के संदर्भ में यमुना नदी में किए गए हालिया अध्ययन और रिपोर्टें चिंताजनक हैं.
अदालत ने तर्क दियाकि दक्षिणी दिल्ली की श्रम विहार की कॉलोनी न केवल बाढ़ क्षेत्र से बाहर है बल्कि यह जोन 'ओ' में आती है. जोन 'ओ' को पारिस्थितिक रूप से नाजुक क्षेत्र माना गया है, जहां का मुख्य उपयोग बागवानी और वनस्पतियों तथा जीवों के संरक्षण के लिए किया जाता है. उन्होंने कहा, "इस क्षेत्र की परिकल्पना यमुना नदी के कायाकल्प और पर्यावरण अनुकूल विकास के लिए की गई है."
अभूतपूर्व ऊंचाई पर पहुंचा प्रदूषण का स्तर:दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा प्रस्तुत एक हालिया रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि यमुना नदी में प्रदूषण का स्तर अभूतपूर्व ऊंचाई पर पहुंच चुका है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सितंबर 2024 में मल का स्तर अनुमेय सीमा से 1,959 गुना और वांछित सीमा से 9,800 गुना अधिक था. यह स्थिति आसपास की अनधिकृत कॉलोनियों से बहते असंवर्द्धित सीवेज के कारण उत्पन्न हुई है.
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने इस बात का न्यायिक संज्ञान लिया है कि यमुना में प्रदूषण की मात्रा अब तक के उच्चतम स्तर पर है. उस संदर्भ में श्रम विहार कॉलोनी के निवासियों ने जो अस्थाई रोक की मांग की थी, उसे अस्वीकार कर दिया गया.