नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि वो पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के पूर्व प्रमुख ई अबू बकर को सुनवाई की अगली तिथि को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश कराएं. जस्टिस सुरेश कैत और जस्टिस मनोज जैन की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. मामले की अगली सुनवाई 21 फरवरी को होगी.
कोर्ट ने जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि वो अबू बकर की ताजा मेडिकल रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करें. कोर्ट ने जेल प्रशासन को ये भी बताने को कहा कि अबू बकर अस्पताल में कितनी बार और कितने देर तक भर्ती हुआ. दिल्ली हाईकोर्ट ने कोर्ट की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वो सुनवाई की अगली तिथि के एक हफ्ते पहले गवाहों के बयान सीलबंद लिफाफे में दाखिल करे.
7 अगस्त 2023 को कोर्ट ने अबू बकर की स्वास्थ्य के आधार पर दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए एनआईए को नोटिस जारी किया था. सुनवाई के दौरान एनआईए ने कहा था कि अबू बकर को कई बार एम्स में इलाज के लिए ले जाया गया. उसको बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है.
इसके पहले अप्रैल 2023 में हाईकोर्ट ने अबू बकर को अपनी जमानत याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी थी. फरवरी 2023 में हाईकोर्ट ने जेल प्रशासन को निर्देश दिया था कि वो अबू बकर को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएं. पहले की सुनवाई के दौरान एनआईए ने कहा था कि अबू बकर जांच को बाधित करना चाहता है. एनआईए ने कहा था कि उसके खिलाफ जांच चल रही है और इसी दौरान ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर कर जांच को बाधित करने की कोशिश की जा रही है.
एनआईए ने कहा था कि अबू केरल जाकर इलाज करने की अनुमति मांग रहा है. उसकी ये याचिका जांच को बाधित करने और गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश है. सुनवाई के दौरान अबू बकर की ओर से वकील अदीत एस पुजारी ने कहा था कि संविधान की धारा 21 के तहत जीने के अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है. जीने के अधिकार में स्वास्थ्य का अधिकार और गरिमा के साथ जीने का अधिकार भी शामिल है.