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घना जैव विविधता का सबसे बड़ा भंडार, यहां 60% पक्षी व मेंढक के साथ ही 70% मिलती हैं सरीसृप की प्रजातियां - International Biodiversity Day 2024

International Biodiversity Day 2024, आज अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस है. ऐसे में आज हम भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के आंचल में समाहित जैव विविधता के भंडारों के बारे में बताएंगे.

International Biodiversity Day 2024
जैव विविधता का भंडार घना (ETV BHARAT Bharatpur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 22, 2024, 10:17 AM IST

घना जैव विविधता का सबसे बड़ा भंडार (ETV BHARAT Bharatpur)

भरतपुर.ग्लोबल वार्मिंग का असर प्रकृति, जंगल और जैव विविधता पर भी देखने को मिल रहा है, लेकिन भरतपुर का केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान अपने आंचल में जैव विविधता का भंडार संजोए हुए हैं. महज 28.73 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले घना में पक्षियों की ही नहीं, बल्कि सरीसृप, मेंढक, कछुआ, तितली आदि की बड़ी संख्या में प्रजातियां पाई जाती हैं. पर्यावरणविदों की मानें तो इतने कम क्षेत्रफल में इतनी अधिक जैव विविधता राजस्थान के किसी अन्य हिस्से में देखने को नहीं मिलती है. आइए अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर घना के प्राकृतिक भंडार के बारे में जानते हैं.

इसलिए घना है जैव विविधता का भंडार :पर्यावरणविद व सेवानिवृत्त रेंजर भोलू अबरार खान ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान प्रदेश की जैव विविधता का सबसे महत्वपूर्ण और कम क्षेत्रफल में सर्वाधिक उपलब्धता वाला स्थान है. राजस्थान में ऐसा दूसरा स्थान नहीं है, जहां सिर्फ 28.73 वर्ग किमी क्षेत्र में इतनी बड़ी संख्या में जैव विविधता पाई जाती हो. इसके पीछे की वजह यह है कि इस जंगल में पक्षी, वन्यजीव, कछुआ,मेंढक, सरीसृप आदि के लिए प्राकृतिक आवास, भरपूर भोजन और सुरक्षित माहौल उपलब्ध है.

उद्यान के आंचल में समाहित जैव विविधता के भंडार (ETV BHARAT Bharatpur)

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पहली बार बीटल्स की प्रजातियों का खुलासा : प्रदेश में अभी तक बीटल्स यानी गुब्रीला की प्रजातियों पर कोई काम नहीं हुआ था. पहली बार घना में एक शोधार्थी कृतिका त्रिगुणायत ने अध्ययन कर पता लगाया कि घना में 91 प्रजाति के बीटल्स मौजूद हैं, जो कि ईको सिस्टम का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.

राजस्थान से घना की तुलना : राजस्थान में पक्षियों की कुल 510 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से अकेले केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पक्षियों की करीब 380 प्रजातियां देखी जा चुकी हैं. वहीं, राजस्थान में रेंगने वाले (सरीसृप) जीवों की करीब 40 प्रजातियां मिलती हैं, जिनमें करीब 25 से 29 प्रजातियां घना में हैं. इसके इतर प्रदेश में तितलियों की करीब 125 प्रजातियां मिलती हैं, जिनमें से करीब 80 प्रजाति घना में हैं. वहीं, राज्य में मेंढक की 14 प्रजातियां हैं, जिनमें से नौ प्रजाति घना में हैं. साथ ही प्रदेश में कछुओं की 10 प्रजातियों में से 8 प्रजाति घना में मौजूद हैं. इसके अलावा घना में 91 प्रजाति के बीटल्स (गुब्रीला), 57 प्रजाति की मछलियां, 34 प्रजाति और 372 प्रजाति की वनस्पति के स्तनधारी जीव मौजूद हैं.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (ETV BHARAT Bharatpur)

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जैव विविधता को संजोने का प्रयास : केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में 1980 के दशक में काले हिरण फिशिंग कैट और ऑटर मौजूद थे, लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे यहां का हेबिटाट प्रभावित हुआ तो ये वन्यजीव यहां से लुप्त हो गए. अब उद्यान प्रशासन रिइंट्रोड्यूस प्रोग्राम के तहत काले हिरण, ऑटर को यहां पुनर्वासित करने में जुटा है. उद्यान में अब तक दो काले हिरण लाए जा चुके हैं और इनकी संख्या दो बच्चों के जन्म के बाद बढ़कर अब 4 हो गई है.

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