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दरभंगा से कांवरियों का जत्था बाबा बैद्यनाथ धाम के लिए हुआ रवाना, बोलबम के नारों से गूंज उठा शहर - दरभंगा से कांवरियों का जत्था

Baba Baidyanath Dham: दरभंगा से हजारों लोग बाबा बैद्यनाथ की नगरी के लिए कांवर लेकर निकल पड़े है. सभी वसंत पंचमी पर बाबा बैद्यनाथ को गंगाजल चढ़ाने की परंपरा का निर्वाह करने के लिए निकले है. इस दौरान सभी ने शुभंकरपुर स्थित श्मशान काली मंदिर से प्रस्थान किया है.

Baba Baidyanath Dham
दरभंगा से कांवरियों का जत्था बाबा बैद्यनाथ धाम के लिए हुआ रवाना

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 2, 2024, 7:05 PM IST

दरभंगा: बिहार के दरभंगा जिले से कांवरियों का जत्था अपनी मनोकामना को लेकर बाबा बैद्यनाथ धाम की ओर 'बोल बम' के जयकारे के साथ निकल पड़ा है. जहां सभी में गजब का उत्साह देखने को मिला.

भोलेनाथ की नगरी के लिए रवाना: मिली जानकारी के अनुसार, आस्था और हठयोग के साथ मिथिला के हजारों लोग बाबा बैद्यनाथ की नगरी के लिए कांवर लेकर प्रस्थान कर चुके हैं. इस दौरान कंधे पर कांवर लेकर बोलबम के नारों के साथ कांवरियों नंगे पांव सड़कों पर यात्रा करते दिखें. ये कांवरिया अपने-अपने घरों से पैदल चलकर देवघर के लिए निकल पड़े हैं.

गंगाजल चढ़ाने की परंपरा:दरअसल, माघ मास के शुक्ल पक्ष के वसंत पंचमी पर बाबा बैद्यनाथ को गंगाजल चढ़ाने की परंपरा है. इसी का निर्वाह करने के लिए शुक्रवार सुबह दरभंगा से दो दर्जन से अधिक कांवर यात्रियों ने शुभंकरपुर स्थित श्मशान काली मंदिर से प्रस्थान किया है.

दरभंगा से कांवरियों का जत्था बाबा बैद्यनाथ धाम के लिए हुआ रवाना

मां पार्वती का मायके है मिथिला: वही कांवर यात्रा में शामिल मैथिली के गीतकार मणिकांत झा ने बताया कि बैद्यनाथ धाम मे कांवर चढ़ाने का आरंभ मिथिला से ही हुआ है. उन्होंने बताया कि पार्वती का मायके मिथिला में होने के कारण मिथिला के लोग उन्हें अपनी बहन मानते हैं और महादेव से भी रिश्ता बनाकर रखे हुए हैं.

"शिवरात्रि के दिन देवघर में विवाहोत्सव मनाया जाता है. उससे पूर्व वसंत पंचमी को महादेव का तिलकोत्सव होता है, जिसमें मिथिलावासी ससुराल पक्ष की ओर से शामिल होते हैं. इसलिए हम सभी लोग कांवर लेकर देवघर के लिए निकल पड़े है." - मणिकांत झा, गीतकार

सैकड़ों गांवों के लोग हुए शामिल: बताते चले की माघी कांवर यात्रा में दरभंगा, सीतामढ़ी, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, बेतिया, समस्तीपुर, बेगूसराय तथा नेपाल के तराई क्षेत्र के सैकड़ों गांवों के लोग लाखों की संख्या में शामिल होते है. सभी झारखंड के देवघर स्थित वैद्यनाथ धाम पहुंचकर जलाभिषेक करते हैं. इस कांवर यात्रा की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें शामिल लोग इस कड़ाके की ठंड में भी नंगे बदन भोजन करते हैं और जमीन पर ही सोते हैं.

शिव के दर्शन की इच्छा:लंबी पैदल यात्रा के दौरान शिवभक्तों के पैरों में छाले पड़ जाते हैं लेकिन आस्था के आगे हर कष्ट छोटा नजर आता है. बोल बम के जयघोष के बीच उनका उत्साह बढ़ता जाता है और कदम अपने आप आगे बढ़ने लगते हैं. शिव के दर्शन की इच्छा सभी कष्टों को भुला देती है.

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