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ये हुई न बात..! SDM ने खुद पकड़ ली हंसिया, खेत में काटने लगे धान

मसौढ़ी के धनरूआ गांव में धान की क्रॉप कटिंग कृषि विभाग की देखरेख में की गई. एसडीएम, खेतों में उतरकर कचिया लेकर फसल काटा.

Masaurhi SDM
मसौढ़ी एसडीएम. (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 14, 2024, 3:43 PM IST

पटना: बिहार में धान के औसत उपज का आकलन करने के लिए के लिए 'क्रॉप कटिंग' की जाती है. धनरूआ के मंझौली गांव में धान की क्रॉप कटिंग एसडीएम खुद खेतों में उतरकर हाथों में हासिया लेकर धान की कटाई की. कृषि विभाग की देखरेख में क्रॉप कटिंग की गई. इस दौरान उन्होंने संबंधित पदाधिकारियों और किसानों को आवश्यक निर्देश दिये. धान की फसल के उत्पादन लागत के मूल्य निर्धारण करने का कार्य प्रशासनिक अधिकारियों ने शुरू किया.

धान की पैदावार का आकलनः गुरुवार को मंझौली में एसडीएम की टीम दल बल के साथ पहुंची. रामविनय सिंह की खेत में एसडीएम अमित पटेल, सांख्यिकी पदाधिकारी कृषि के नोडल पदाधिकारी ने धान की कटिंग की. इस मौके पर किसान के साथ किसान सलाहकार मौजूद रहे. विभिन्न प्रखंडों में धान की कितनी उपज हुई है, उसका कितना मूल्यांकन हुआ है, इसको लेकर विभिन्न राजस्व गांव में प्रशासनिक पदाधिकारी खुद खेतों में जाकर अपने हाथों में हसुआ लेकर धान की कटाई कर रहे हैं.

धान काटते एसडीएम. (ETV Bharat)

क्या होती है क्रॉप कटिंगः खरीफ की फसल का औसत उत्पादन निकालने के लिए क्रॉप कटिंग की जाती है. आंकड़ों के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण होता है. फसल उत्पादन का औसत जानने के लिए पंचायतवार रैंडमली खेतों में जाकर क्रॉप कटिंग की जाती है. क्रॉप कटिंग के तहत चिह्नित खेत में जाकर 10 गुना 5 वर्ग मीटर में धान की तैयार फसल को काटा जाता है. अधिकारी की मौजूदगी में उससे फसल निकाली जाती है. फिर रिकॉर्ड तैयार किया जाता.

धान काटते एसडीएम. (ETV Bharat)

"क्रॉप कटिंग में इस बार धान उत्पादन बीते साल के मुकाबले अधिक हो सकती है. बीते साल 1 हेक्टेयर में करीब 30 से 31 क्विंटल तक धान का पैदावार रिकॉर्ड किया गया था, जबकि इस साल धान की पैदावार अधिक होने की संभावना है."- अमित पटेल, एसडीएम, मसौढ़ी

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