वाराणसी:विशेष न्यायाधीश (आवश्यक वस्तु अधिनियम) की कोर्ट से प्राचीन लार्ड विश्वेश्वर के वर्ष 1991 के मामले में हरिहर पांडेय (पूर्व पक्षकार) के निधन होने के बाद उनके बेटों को पक्षकार बनाने सबंधित निगरानी अर्जी पर गुरुवार को खारिज हो गई. कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को बहाल रखते हुए कहा कि प्रस्तुत प्रकरण में कोई वैधानिक या तात्विक त्रुटि दर्शित नहीं होती है.
इसके अलावा अवर न्यायालय ने अपने क्षेत्रधिकार विधि सम्मत रूप से प्रयोग करते हुए आक्षेपित आदेश पारित किया है. सम्पूर्ण तथ्यों एवम परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह निष्कर्ष निकलता है कि अवर न्यायालय द्वारा 28 फरवरी 2024 को पारित आदेश पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों व विधिक प्रविधानो का अवलोकन एवम विश्लेषण करने के उपरांत पारित किया गया है, उसमें किसी प्रकार के अनियमितता अथवा विधिक त्रुटि नहीं है. ऐसे में प्रणय कुमार पांडेय व अन्य की ओर से प्रस्तुत निगरानी अर्जी निरस्त की जाती है. इस मामले में पिछले दिनों दोनो पक्षों के सुनने के बाद आदेश के लिए कई तिथि नियत की गई थी. पिछले तिथि पर पुनः सुनने के बाद आदेश के लिए सुरक्षित रख ली थी.
पिछले महीने सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक अदालत ने हरिहर पांडेय (पूर्व पक्षकार) के निधन होने के बाद उनके बेटों को पक्षकार बनाने की अर्जी खारिज कर दी थी. इस आदेश के खिलाफ जिला जज की कोर्ट में निगरानी अर्जी दाखिल की थी. जिस पर सुनवाई हुई. हरिहर पांडेय के निधन के बाद वारिसन के रूप में इस मुकदमे में पक्षकार बनाने के लिए दोनो बेटे प्रणय पांडेय व करण शंकर पांडेय की ओर से कोर्ट में अर्जी दी गई. पिता की जगह उन्हें पक्षकार बनाने की मांग की गई थी.