लखनऊ : सीओपीडी एक क्रोनिक डिजीज है. लगातार प्रदेश भर में इससे पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ रही है. विशेषज्ञों के मुताबिक, आमतौर पर सर्दियों के दिनों में सीओपीडी के मरीज बढ़ते हैं. लेकिन, इस मौसम में अधिक संख्या में मरीज बढ़े हैं. ओपीडी में आने वाले 250 मरीजों में आधे मरीज सीओपीडी की चपेट में आ रहे हैं. इसके अलावा अस्थमा के मरीजों में सीओपीडी के लक्षण आ रहे हैं. इस मौसम में सीओपीडी के मरीज नहीं आते हैं. लेकिन, इस बार प्रचंड गर्मी के कारण मरीज भारी संख्या में मिल रहे हैं.
केजीएमयू क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. वेद प्रकाश ने कहा कि अक्सर लोग अस्थमा और सीओपीडी को एक ही बीमारी समझ लेते हैं क्योंकि इन दोनों के लक्षण एक समान होते हैं. इन दोनों ही बीमारियों में एक समान लक्षण जैसे खांसी, कफ और सांस लेने में दिक्कत शामिल है. लेकिन ये दोनों ही रोग एक-दूसरे से भिन्न हैं. उन्होंने कहा कि आम तौर पर यह बीमारी सर्दियों के मौसम में अधिक होती है और इससे पीड़ित मरीजों की समस्या भी सर्दियों के मौसम में अधिक बढ़ती है लेकिन, जब तापमान 32 डिग्री या इससे अधिक होता है तो या फिर नमी के कारण सीओपीडी से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ जाती है. ऐसे मौसम में उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगती है और एलर्जी, इन्फेक्शन तमाम चीज समस्या बनकर उभरने लगते हैं.
सीओपीडी का प्रभाव |
- पुरानी खांसी |
- सांस लेने में तकलीफ |
- घरघराहट |
- सीने में जकड़न |
- थकान |
- बार-बार श्वसन संक्रमण होना |
- अनपेक्षित वजन घटना |
- दैनिक गतिविधियां करने में कठिनाई. |
उन्होंने बताया कि केजीएमयू की सभी ओपीडी में इस समय 50 प्रतिशत मरीज सीओपीडी के आ रहे हैं. हर 10 में से दो मरीज सीओपीडी के निकल रहे हैं, जबकि आमतौर पर ऐसा होता नहीं है. इस बार भीषण गर्मी के चलते सीओपीडी से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि इस समय जैसे मौसम में परिवर्तन हो रहे हैं, कभी अत्यधिक गर्मी अत्यधिक उमस हो रही है. इससे सीओपीडी के मरीज को सांस लेने में समस्या हो रही है और ऐसे मरीज जब कभी बाहर निकल जाते हैं तो उन्हें तुरंत से एलर्जी हो जाती है. इस समय इमरजेंसी में भी कई गंभीर मरीजों को भी लाया जा रहा है. जरूरी है कि इस मौसम में लोग अपनी सेहत का ख्याल रखें. जरूरत नहीं होने पर अनावश्यक बाहर न निकलें और बाहर निकलते समय कुछ बातों का ख्याल रखें. सिर को ढककर निकलें. नाक मुंह को अच्छे से ढककर निकलें ताकि एलर्जी न हो.
सीओपीडी के मुख्य तथ्य
• वैश्विक प्रसार : दुनिया भर में लगभग 38 करोड़ 40 लाख लोग सीओपीडी से प्रभावित हैं.
• वैश्विक बोझ सीओपीडी वैश्विक स्तर पर मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण हैं.
• अनुमानित रैंकिंग : एक अनुमान के हिसाब से 2030 तक सीओपीडी दुनिया भर में मौत का तीसरा प्रमुख कारण हैं.
• मृत्यु दर सीओपीडी सालाना बड़ी संख्या में मौतों के लिए जिम्मेदार है.
• सीओपीडी सभी उम्र के व्यक्तियों को प्रभावित कर सकता है, यह वृद्धावस्था में अधिक देखा जाता है.
• उम्र के साथ इसका प्रसार बढ़ता जाता है.
• एक अनुमान है कि भारत में 5 करोड़ 50 लाख से अधिक लोग सीओपीडी से पीड़ित हैं.