नई दिल्लीः उच्च शिक्षण संस्थानों से शिक्षा पूरी करने के बाद हर छात्र को दीक्षांत समारोह का बेसब्री से इंतजार होता है, जिसमें उन्हें पारंपरिक तरीके से विशेष ड्रेस कोड में डिग्री दी जाती है. काले रंग की पोशाक और सिर पर चौकोर काली टोपी पहनकर उन्हें महसूस होता है कि आज उनकी शिक्षा की दीक्षा पूरी हुई. अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही इस प्रथा पर अब रोक लगने वाली है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी पहल कर दी है. शुक्रवार को मंत्रालय की ओर से एक सर्कुलर जारी कर इसकी सूचना सभी केंद्रीय सरकारी अस्पतालों, एम्स/आईएनआई/केंद्र सरकार चिकित्सा शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों के अलावा अन्य संबंधित विभागों को दे दी गई है.
अंग्रेजों के गुलामी की निशानी के तौर पर जो भी प्रथाएं चली आ रही हैं, उन पर एक-एक कर रोक लगाई जा रही है और उनकी जगह भारतीय परंपराओं को जगह दी जा रही है. सर्कुलर में कहा गया है कि यह देखा गया है कि वर्तमान में मंत्रालय के विभिन्न संस्थानों द्वारा दीक्षांत समारोह के दौरान काले रंग की पोशाक और टोपी का उपयोग किया जा रहा है. यह पोशाक यूरोप में मध्य युग में उत्पन्न हुई और अंग्रेजों द्वारा अपने सभी उपनिवेशों में शुरू की गई थी.