लोहरदगा: राजनीति में प्रतिद्वंद्विता और विवाद का गहरा नाता है. मौजूदा राजनीतिक माहौल में नीतियों और सिद्धांतों से ज्यादा बयानों की चर्चा हो रही है. झारखंड में कांग्रेस पार्टी अभी झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ सत्ता में है. इसके बावजूद लोहरदगा में हाल के समय में कांग्रेसी नेताओं के बयान बता रहे हैं कि कांग्रेस में ऑल इज वेल नहीं है. आखिर क्यों बयानों के तीर चलाए जा रहे हैं.
दो गुटों में बटी दिख रही कांग्रेस
लोहरदगा कांग्रेस में विवाद कुछ समय पहले ही शुरू हो गया था. भले ही अभी दो चयनित जनप्रतिनिधि अपने बयानों से एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं, परंतु लोहरदगा जिला कांग्रेस के अंदर इसकी पृष्ठभूमि कुछ समय पहले ही तैयार हो चुकी थी. बात लोकसभा चुनाव की है. चुनाव के दौरान कांग्रेस के एक गुट पर आरोप लगा कि वह कांग्रेस के प्रत्याशी सुखदेव भगत को हराने के लिए एक निर्दलीय प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे हैं. इस दौरान लोकसभा चुनाव में सुखदेव भगत की जीत हो गई. फिर क्या था, एक-दूसरे पर बयानों का तीर खुलकर चलने लगे.
लोहरदगा में चुनाव की समीक्षा बैठक के दौरान प्रदेश स्तरीय नेताओं के सामने ही जिला कांग्रेस कमेटी के नेता आपस में भिड़ गए. बात मारपीट और एफआईआर तक पहुंच गई. इसके बाद भी मामला शांत नहीं हुआ. हाल के समय में मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने लोहरदगा में अल्पसंख्यक समुदाय के एक नेता को मंत्री प्रतिनिधि नियुक्त किया. इसके बाद दूसरा गुट जैसे ही हमलावर हो गए खुद सांसद सुखदेव भगत ने इस पर सवाल उठा दिए. उन्होंने कहा कि रामेश्वर उरांव जनता को मूर्ख बना रहे हैं. किसी भी मंत्री का प्रतिनिधि नियुक्त नहीं होता है. इसके बाद रांची में मंत्री ने इसके जवाब में कहा कि जिनके घर खुद शीशे के होते हैं, वह दूसरे के घरों पर पत्थर नहीं मारा करते.