नई दिल्ली/चंडीगढ़ :हरियाणा में बीजेपी ने अपने 67 उम्मीदवारों की सूची जारी कर कांग्रेस पर लीड ले ली है. भले ही बीजेपी के कुछ नेता टिकट कटने के बाद नाराज हो, लेकिन कांग्रेस नामांकन के दो दिन बीतने के बाद भी उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं कर पाई है. पार्टी अभी भी मंथन के दौर से गुजर रही है. उम्मीदवारों के नाम को लेकर फिर से सीईसी की बैठक हुई है.
मैराथन बैठकें, लेकिन सूची अभी भी दिख रही दूर : हरियाणा में विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों को लेकर जिन सीटों पर पहले सीईसी की बैठक के बाद पेंच फंसा था, उसके समाधान और गठबंधन पर विचार के लिए पार्टी ने उप समिति का गठन किया था. लेकिन उपसमिति की मैराथन बैठक के बाद भी इन सीटों का समाधान नहीं हो पाया है, जिसके बाद फिर से कांग्रेस पार्टी की सीईसी की बैठक शुक्रवार शाम को दिल्ली में बुलाई गई. उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक के बाद शायद पार्टी अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करे.
दो दर्जन से अधिक सीटों पर खींचतान :जानकारी के मुताबिक कांग्रेस पार्टी में 30 से अधिक सीटों पर पेंच फंसा हुआ है. इन सीटों पर अभी भी दो से ज्यादा उम्मीदवारों के नाम चल रहे हैं, जिसकी वजह से सीईसी की बैठक फिर से हुई है. माना जा रहा है कि पार्टी की तरफ से बनाई गई उपसमिति की बैठक के बाद भी 30 से अधिक सीटों पर खींचतान बरकरार है. उप समिति को 30 से अधिक सीटों पर एक से अधिक नामों के सुझाव मिले हैं.
गुटबाजी की वजह से भी हो रही देरी ? :हरियाणा में पार्टी की गुटबाजी भी इस दिक्कत का सबब बना हुआ है. उप समिति को कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला, दीपेंद्र हुड्डा सहित कई सांसदों ने कई सीटों के लिए उम्मीदवारों के सुझाव दिए हैं, जिन पर उप समिति के लिए फैसला लेना मुश्किल हो गया है. माना जा रहा है कि सभी दिग्गज अपने चहेतों को टिकट दिलाने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं.
आप, सपा को सीट देने पर भी विचार :जानकारी के मुताबिक हरियाणा में कांग्रेस राहुल गांधी की सलाह पर आप और सपा को भी सीट देने पर विचार कर रही है. सूत्रों के मुताबिक पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा इसके लिए तैयार नहीं है. लेकिन सूत्र बताते हैं कि पार्टी आप को पांच सीटें और सपा को एक सीट दे सकती हैं. इस पर भी फाइनल फैसला सीईसी की बैठक के बाद ही लिया जाना है. माना जा रहा है कि जिन सीटों पर आप लड़ना चाह रही है, उन सीटों पर हरियाणा कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के करीबियों का राजनीतिक भविष्य भी ऐसा करने से खतरे में पड़ सकता है. इसके चलते प्रदेश कांग्रेस के नेता इस गठबंधन के पक्ष में नहीं है.