दुमका: दुमका रेलवे स्टेशन के लगभग एक किलोमीटर की परिधि में रहने वाले लोगों को पिछले कुछ वर्षों से कोल डस्ट से काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. इसके लिए कई बार लोगों ने सड़क पर उतरकर आंदोलन भी किया, लेकिन राहत नहीं मिली. इसी मुद्दे को देखते हुए सांसद निशिकांत दुबे की पहल पर रेल मंत्रालय ने महत्वपूर्ण फैसला लिया है. इससे स्थानीय लोगों को न सिर्फ मांग पूरी होगी बल्कि हर दिन धूल से जुझने से राहत भी मिलने जा रही है.
लगभग चार वर्ष पहले दुमका रेलवे स्टेशन पर कोल रैक प्वाइंट बनाया गया है. जहां पाकुड़ जिले के अमड़ापाड़ा से सैकड़ों ट्रक और हाइवा में कोयला लाकर इस रैक प्वाइंट पर डंप किया जाता है. फिर यहां से प्रतिदिन कई मालगाड़ी में लोड होकर देश के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाता है. इस काम की जिम्मेदारी दक्षिण भारत की बीजीआर कंपनी को सौंपी गई है. जाहिर सी बात है कि जब दिन भर में भारी मात्रा में कोयला लोड किया जाता है तो कोयले की धूल न सिर्फ आसपास के इलाके को बल्कि करीब एक किलोमीटर के इलाके को भी प्रभावित करती है.
44 करोड़ रुपये से बनेगा नया रैक प्वाइंट
इससे आसपास के लोगों के घरों में कोयला डस्ट पहुंचता है, जिससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है. इस समस्या को लेकर पहले तो लोग अपने-अपने स्तर से इस रैक प्वाइंट को हटाने की मांग की. इसे लेकर कई बार आंदोलन भी हुए. इन सबसे से भी बात नहीं बनी तो लोगों द्वारा एक टीम बनाकर लगातार विरोध किया जा रहा है. इसी कड़ी में कुछ माह पहले गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे एक ट्रेन को हरी झंडी दिखाने आये थे तो डस्ट पीड़ितों ने अपनी मांग रखी तो सांसद ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि आने वाले कुछ माह में यह समस्या दूर हो जाएगी.
मंगलवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर जानकारी दी कि अब दुमका रेलवे स्टेशन से कोल रैक प्वाइंट लगभग छह किलोमीटर दूर मदनपुर स्टेशन में शिफ्ट होगा. मदनपुर स्टेशन के अगल-बगल आबादी बिल्कुल नगण्य है. दुमका के लोग कोयला डस्टिंग की वजह से काफी परेशानी में थे. वे बीमार पड़ रहे थे. उन्होंने अपनी मांग को मेरे समक्ष रखी थी तो मैं इसके निदान का उनसे वादा किया था, जो अब पूरा होने जा रहा है. उन्होंने बताया कि रेलवे ने इस रैक प्वाइंट के 44 करोड़ रुपये आबंटित कर दी है. सांसद ने कहा यह मोदी की गारंटी है. हमलोग वोट नहीं विश्वास की राजनीति करते हैं.
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