गोरखपुर: योगी आदित्यनाथ मंगलवार को गोरखपुर में "रोड टू स्कूल" अभियान का शुभारंभ किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सशक्त और समर्थ राष्ट्र की सबसे बड़ी उपलब्धि शिक्षा है. इसके बगैर जीवन में पूर्ति की कल्पना नहीं की जा सकती. इसीलिए प्राचीन काल से ही शिक्षा को सर्व सुलभ करने को लेकर के लगातार मंथन चलता रहा है. इसके लिए अलग-अलग समय में अलग-अलग प्रयास हुए हैं. यही वजह है कि भारत के प्राचीन गुरुकुल की प्रणाली हम सबके लिए आज भी एक प्रेरणा है. यह अभियान स्कूल चलो अभियान का ही एक हिस्सा है. सीएम ने कहा कि रोड टू स्कूल अभियान के माध्यम से ग्रामीण परिवेश के बच्चों को प्राथमिक स्कूलों से जोड़ने, उन्हें शिक्षित बनाने के साथ सशक्त और समर्थ बनाया जाएगा. इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर अशोका लीलैंड की लर्निंग लिंक काम करेगी. रोड टू स्कूल में जो बच्चे ड्रॉप आउट कर लिए या जो स्कूल नहीं जा रहे हैं, उन्हें फिर से जोड़कर उन्हें शिक्षित और समर्थ बनाया जायेगा.
पहले एडमिशन तो होता था लेकिन बच्चे स्कूल नहीं जाते थेःसीएम ने कहा कि 2017 से विद्यालयों में बच्चे पहले तो एडमिशन नहीं ले पाते थे. एडमिशन लेते तो उसमें से आधे बच्चे ऐसे होते थे, जो स्कूल नहीं जाते थे. इसका परिणाम था कि नौवीं क्लास में एडमिशन लेने वालों की संख्या पहली क्लास में एडमिशन लेने वालों की संख्या की तुलना में आधी रह जाती थी. सीनियर सेकेंडरी स्तर पर उसमें और कमी आ जाती थी. स्नातक करने वालों की संख्या में 25 से प्रतिशत कम हो जाती थी. इसमें भी क्वालिटी का ध्यान नहीं दिया जाता था. हम लोगों ने 2017 में "स्कूल चलो अभियान" शुरू किया, स्कूल जिसका अच्छा परिणाम आया. अब रेडी टू स्कूल इस अभियान को और मजबूती प्रदान करेगा. सीएम योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद में एक करोड़ 34 लाख से बढ़कर एक करोड़ 92 लाख पहुंच गई है. यह संख्या बताती है कि बच्चे स्कूल जाना चाहते थे लेकिन उनको ले जाने का कोई माध्यम नहीं बन पा रहा था. इनको प्रेरित और प्रोत्साहित करने का कोई माध्यम नहीं बन पा रहा था. फिर इन बच्चों के लिए हम कुछ कार्यक्रम अपनाकर आगे बढ़ा सके.
मैकाले ने शिक्षा पद्धति को भटाने के लिए बनाया थाःयोगी ने कहा कि जब मैकाले आधुनिक शिक्षा प्रणाली भारत में लागू की तो उससे पहले उसने पूरे भारत के अंदर भ्रमण किया. पूरे देश के अंदर उसने उत्तर से दक्षिण सर्वत्र गया. इसके बाद उसने ब्रिटेन में वायसराय को पत्र लिखकर भेजा. जिसमें लिखा कि मैंने भारत का भ्रमण किया है. भारत एक ऐसा देश है, जहां कि पंचायतें, संस्थाएं स्वयं अपने शिक्षण संस्थानों के प्रति आगे आकर साक्षरता के साथ-साथ लक्ष्य को बिना भेदभाव के हर व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए प्रतिबंध दिख रही हैं. भारत दुनिया में मुझे एक ऐसा देश देखने को मिला है जिस देश में मैं कहीं भी गया तो यही दिखा कि ग्रामीण क्षेत्र में लोग आपस में एक विश्वास से जुड़े हुए हैं. कोई भी अपने घर में ताला नहीं लगाता और हर व्यक्ति को एक दूसरे पर विश्वास है. जब तक भारत के अंदर परस्पर लोगों में यह विश्वास बना हुआ है भारत को अधिक दिनों तक ब्रिटिश गुलाम नहीं बना कर रख सकते. इसलिए उन्होंने उस समय की शिक्षा पद्धति को इस रूप में बनाया कि लोगों में भटकाव हो.