देहरादून/दिल्ली: उत्तराखंड राज्य में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के साथ ही जियोथर्मल एनर्जी की अपार संभावनाएं हैं. बावजूद इसके प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते पर्याप्त मात्रा में विद्युत का उत्पादन नहीं हो पा रहा है. इसके चलते गर्मियों की सीजन में ऊर्जा विभाग को महंगी दरों पर बिजली खरीद कर बिजली की आपूर्ति करने पड़ रही है.
इन तमाम समस्याओं को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री से मुलाकात की. मुलाकात के दौरान सीएम ने केन्द्रीय तापीय संयंत्रों से 500 मेगावाट बिजली अतिरिक्त उत्तराखंड राज्य को स्थायी रूप से आवंटित करने का अनुमोदन किया. दरअसल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पिछले 4 दिनों से दिल्ली दौरे पर हैं. इस दौरे के दौरान केंद्र सरकार में गठित नई मंत्रिमंडल के मंत्रियों से मुलाकात कर प्रदेश के लिए सौगात लाने की कवायद में जुटे हुए हैं. इसी क्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री से मुलाकात की. मुलाकात कर केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर को आवास एवं शहरी मामले और केंद्रीय मंत्री ऊर्जा मंत्रालय की जिम्मेदारी मिलने पर बधाई और शुभकामनाएं दी.
सीएम ने कहा कि उत्तराखंड में विद्युत उत्पादन के लिए केवल जल विद्युत ऊर्जा उत्पादन केन्द्र ही उपलब्ध हैं. इसके चलते राज्य के कुल एनर्जी मिक्स में 55 फीसदी से अधिक ऊर्जा, जल विद्युत ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त होती है. कोयला आधारित संयंत्रों से राज्य के एनर्जी मिक्स में करीब 15 फीसदी ऊर्जा ही प्राप्त होती है. इसके चलते राज्य में बेस लोड क्षमता का अभाव, राज्य की ऊर्जा सुरक्षा के लिये बड़ी चुनौती बनती जा रही है.
शीतकाल के दौरान राज्य के जल विद्युत ऊर्जा स्रोतों से एवरेज 300-400 मेगावाट बिजली ही प्राप्त हो पाती है, जो ऊर्जा सुरक्षा की स्थिति को और अधिक गम्भीर कर देती है. राज्य में लगभग 4800 मेगावाट क्षमता की जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण, पर्यावरणीय कारणों, न्यायालयों और अन्य स्तरों पर लम्बित है. जिसके चलते राज्य में उपलब्ध जल शक्ति का विकास न हो पाने के कारण राज्य में विद्युत की मांग और उपलब्धता के बीच का गैप लगातार बढ़ता जा रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण, नई दिल्ली की ओर से इस साल सम्पादित की गई रिसोर्स एडिक्वेसी स्टडीज (Resource Adequacy Studies) में भी उत्तराखंड के एनर्जी मिक्स (Energy Mix) में वित्तीय वर्ष 2027-28 तक 1200 मेगावाट अतिरिक्त विद्युत कोयला आधारित तापीय संयत्रों से प्राप्त किये जाने की संस्तुति की गई है. साथ ही कहा कि अगले पांच सालों में राज्य की आर्थिकी को दोगुना करने का लक्ष्य है. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए राज्य के आधारभूत ढांचे में व्यापक वृद्धि की जानी है, जिसमें औद्योगिकीकरण, सेवा क्षेत्र, पर्यटन से जुड़ा आधारभूत ढांचा, कृषि एवं वानिकी और शिक्षा आदि क्षेत्रों में विशेष रूप से निवेश आकर्षित हो रहा है. इसके चलते भविष्य में विद्युत की मांग में तेजी से बढ़ोत्तरी होने की संभावना है.
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