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सहकारी बैंकों में कैश की किल्लत, पैसों के लिए भटक रहे किसान, बैंककर्मियों पर लगाए गंभीर आरोप - CASH CRUNCH IN COOPERATIVE BANKS

कोरबा जिले के सहकारी बैंक में कैश की किल्लत है.जिसके कारण किसानों को अपने पैसों के लिए भटकना पड़ रहा है.

Cash crunch in cooperative banks
पैसों के लिए भटक रहे किसान (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 19 hours ago

Updated : 17 hours ago

कोरबा : खेत में धान उगाने और इसे समर्थन मूल्य में बेचने के बाद भी किसानों की समस्याओं का अंत नहीं हो रहा है. अब किसान बैंक से पैसे निकालने के लिए परेशान हो रहे हैं. हालत ये हैं कि सहकारी बैंक में कैश की किल्लत है. किसान सुबह से लेकर शाम तक कतार में लगकर हाथों में फॉर्म लिए कैश का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन किसानों को कैश नहीं मिलता. किसानों को खाली हाथ ही मायूस लौटना पड़ रहा है. वहीं कई किसान ऐसे हैं जो अपने धान की कीमत का एक से दो लाख रुपये निकालना चाहते हैं. लेकिन उन्हें अधिकतम 20 से 25 हजार रुपए का ही भुगतान किया जा रहा है. इसे लेकर किसान नाराज हैं. जिससे बैंकों में रोजाना गहमा गहमी का माहौल बन रहा है.लेकिन बैंक के अधिकारी कर्मचारी इसका समाधान नहीं कर पा रहे हैं.


बैंक अफसरों पर लगे गंभीर आरोप : गांव लबेद से आए किसान दिनेश कुमार राठिया का कहना है कि कुछ बड़े किसान बैक डोर से पेमेंट लेकर जा रहे हैं. जो अपने पेमेंट का कुछ हिस्सा बैंक कर्मियों को दे रहे हैं. जिसके कारण उन्हें पैसा आसानी से मिल रहा है. जबकि हम सुबह 8 बजे से लेकर शाम तक कतार में खड़े रहते हैं, इसके बाद भी पैसे नहीं मिल रहे हैं.

सहकारी बैंकों में कैश की किल्लत, पैसों के लिए भटक रहे किसान (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

मैं कल भी बैंक आया था. लेकिन पैसे नहीं मिले. आज कहा जा रहा है कि सिर्फ 20 हजार मिलेंगे. हमारी मांग है कि सभी किसानों को वो जितना चाहते हैं. उतने पैसे तत्काल प्रदान किए जाए. -दिनेश राठिया,किसान

सुबह से शाम तक हम लगातार कतार में लगाते आ रहे हैं. मुझे 1 लाख 20 हजार रुपए बैंक से निकालना है. लेकिन इतने पैसे नहीं मिल रहे हैं. बैंक का कहना है कि कैश की कमी है, अंदर जाने से रोका जा रहा है. फॉर्म हाथ में लेकर काफी देर से कतार में लगा हुआ हूं, गार्ड धक्का देकर बैंक से बाहर निकाल दिया. बैंक से पैसे निकालने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है- परसराम,किसान

दो बैंक में खाते लेकिन नहीं मिल पा रहा कैश: सहकारी बैंक कोरबा शाखा में जिले भर के किसान पैसे निकालने पहुंच रहे हैं. सहकारी बैंक का खाता आईडीबीआई और एक्सिस बैंक, दो स्थानों पर संचालित हैं. लेकिन यह दोनों बैंक मिलकर भी सहकारी बैंक को पर्याप्त कैश की आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं. कोरबा जिले में एसबीआई चेस्ट बैंक है, लेकिन एसबीआई के चेस्ट बैंक से भी पर्याप्त राशि की सप्लाई नहीं की जा रही है. जिसका परिणाम ये हो रहा है कि किसानों को पर्याप्त मात्रा में कैश नहीं मिल पा रहा है.

कैश की कमी, कर्मचारी भी कम :सहकारी बैंक कोरबा शाखा की प्रबंधक सरिता पाठक शुक्ला का कहना है एक तो हमारे पास कैश की कमी है. कर्मचारियों की संख्या भी सीमित है. हमारा खाता आईडीबीआई और एक्सिस बैंक में है. यहां से हमें पर्याप्त मात्रा में कैश नहीं मिल पाता. पूरे जिले में रोज के डिमांड साढ़े 7 से 8 करोड़ रुपए है. लेकिन 4 से 5 करोड रुपए ही मिल पाते हैं. अकेले कोरबा शाखा में 2 करोड़ रुपए प्रतिदिन बांटना पड़ता है, लेकिन हमारे पास 20 से 30 लाख रुपए का ही कैश मौजूद होता है. एसबीआई के चेस्ट ब्रांच से भी हमें कोई सहायता नहीं मिलती. कैश की भारी किल्लत है.

हेड ऑफिस से ही निर्देश है कि लंच तक किसानों को 300 टोकन देना है. इसके बाद आने वाले किसानों को एक ही दिन में कैश दे पाना संभव नहीं हो पता. लंच तक ही 300 किसानों का टोकन कट जाता है, लेकिन 2 से 3 बजे के बाद 400 किसान और आ गए फिर भुगतान मांगने लगे, बैंक के पास पैसे नहीं थे. जिन किसानों की मंशा पूरी नहीं होती. वह कई तरह के आरोप भी लगाते हैं. इस वजह से हर रोज यहां गहमा गहमी का माहौल बन जाता है. किसान गार्ड के साथ भी बदतमीजी करते हैं.ये हर दिन की आम बात हो गई है- सरिता पाठक शुक्ला, शाखा प्रबंधक, सहकारी बैंक कोरबा

अफसरों ने नहीं लिया सबक : सहकारी बैंक कोरबा शाखा में काफी दबाव रहता है. बड़ी तादात में यहां किसानों के खाते संचालित हैं. पिछले साल तक सहकारी बैंक कोरबा शाखा का खाता एक्सिस बैंक में संचालित था. लेकिन वहां से कैश की आपूर्ति नहीं हो पा रही थी. इस साल सहकारी बैंक ने एक्सिस के साथ ही आईडीबीआई बैंक में भी अपना खाता खोला. एसबीआई बैंक में भी सहकारी बैंक का खाता है. लेकिन यहां से भी पर्याप्त मात्रा में कैश की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. पिछले साल भी कैश को लेकर भारी किल्लत थी. किसान परेशान थे और एक साल बाद भी वही हालत है. बीते साल की गलतियों से भी अधिकारियों ने कोई सीख नहीं ली है. स्थानीय प्रशासन में भी इस दिशा में बैंक की कोई सहायता नहीं की है. जिसके कारण किसान परेशान हो रहे हैं.

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