जयपुर. लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा एक और अग्निपरीक्षा से गुजरने वाले हैं, और वो है राजस्थान में 5 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव. लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुई पांच सीटों पर वैसे तो पहले से ही भाजपा के पास एक भी सीट नहीं, लेकिन प्रदेश में सत्ता भाजपा की है. ऐसे में उपचुनाव ने सत्ता और संगठन दोनों की चिंता बढ़ा दी है. भाजपा के लिए टेंशन का ज्यादा कारण यह भी है कि पिछले 10 साल में हुए उप चुनावों फिर वो लोकसभा के हो या फिर विधानसभा के इनमें कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा है. कांग्रेस सत्ता में हो या विपक्ष में वो उप चुनावों में भाजपा से बेहतर प्रदर्शन करती आई है. यही वजह है कि कांग्रेस उत्साहित है और तैयारी शुरू कर दी, जबकि भाजपा अपने ट्रैक रिकॉर्ड को लेकर चिंतित है और इस बार इसे बदलने की दिशा में कोई ठोस रणनीति को अंदर खाने तैयार कर रही है.
क्या कहता है ट्रैक रिकॉर्ड :वर्ष 2014 से 2024 के बीच अब तक विधानसभा की 17 सीटों पर उपचुनाव में से कांग्रेस ने 12 पर जीत दर्ज की है. वर्ष 2014 के अप्रैल-मई में राजस्थान की चार विधानसभा सीटों नसीराबाद, वैर, सूरजगढ़ और कोटा दक्षिण पर उपचुनाव हुए, प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बाद भी चार सीटों में सिर्फ एक सीट पर भाजपा जीत दर्ज कर पाई. नसीराबाद, वैर और सूरजगढ़ पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया, जबकि कोटा साउथ की सीट पर भाजपा के प्रत्याशी संदीप शर्मा ने जीत दर्ज की. इसके बाद वर्ष 2017 में धौलपुर और 2018 में मांडलगढ़ विधानसभा सीटों पर भी उप चुनाव हुए, जिनमें से धौलपुर पर भाजपा और मांडलगढ़ पर कांग्रेस ने बाजी मारी. इसके बाद विधानसभा उप-चुनाव 2019 से 22 के बीच में 9 सीटों पर उपचुनाव हुए. इस बार कांग्रेस सत्ता में थी. कांग्रेस फिर भी 9 उप चुनावों में से 7, जिसमें मंडावा, सुजानगढ़, सरदारशहर, सहाड़ा, धरियावद, वल्लभनगर और रामगढ़ सीट पर जीत दर्ज की, जबकि भाजपा को केवल एक सीट राजसमंद पर जीत नसीब हुई थी. वहीं, एक सीट खींवसर पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने जीत दर्ज की. 2024 में एक सीट करणपुर विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा.