पानीपत:जिन अंधेरों ने मुझे डराने की कोशिश की, उन अंधेरों का अंत मैंने खुद को जलाकर किया है. इन पंक्तियों को सच कर दिखाया है पानीपत में गांव आता की रहने वाली रानी ने. दरअसल, रानी पैसों से बुटीक चलाती हैं. बुटीक भी ऐसा जिसमे सिले हुए कपड़े डिजाइन देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी धूम मचा रहे हैं. केवल 10 रुपये लेकर सूट सिलने वाली एक साधारण सी महिला आज करोड़ों का बिजनेस कर रही है. इस रिपोर्ट में रानी से जानेंगे कि 10 रुपये से शुरू हुआ सफर करोड़ों रुपये तक पहुंचाने में उन्हें कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ा और कैसे इतने लंबे सफर में हौसला बनाएं रखा.
देश से विदेश तक डिजाइन की डिमांड: रानी ने ईटीवी भारत की टीम से बातचीत में बताया कि उन्होंने 6वीं क्लास तक पढ़ाई की है. लेकिन आज बड़े-बड़े बिजनेसमैन को भी टक्कर दे रही हैं. 14 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी. किसान की बेटी ने फिर सिलाई शुरू की और 10 रुपये से कपड़े सिलने शुरू किए थे. जिसके बाद वह आत्मनिर्भरता की सीढ़ी चढ़ती चली गई. आज सेक्टर 13 में परी रानी के नाम से एक बड़ा बुटीक चलाती हैं. इस बुटीक में कपड़े लेकर डिजाइन तक सब रानी ही तैयार करती हैं. वह कंपनियों को अपना डिजाइन भेजती है. अपने लिए ही कपड़ा मंगवाती है. अब परी के उत्पादन अमेरिका, जर्मनी, कनाडा समेत कई देशों में पहुंच रहे हैं.
गरीबों की भी मदद करती हैं रानी:ट्रेडर्स, एक्सपोर्टर और मॉडल के गुण रानी को बिजनेस वूमेन बनाते हैं. उन्होंने अपने सिलाई किए डिजाइनदार सूटों को पहनकर उन्हीं कपड़ों में अपने सोशल मीडिया अकाउंट टिकटॉक, यू-टूयब, इंस्टाग्राम पर अपलोड कर प्रचार किया. आज उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स पर आठ लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं. वह अपने इस कारोबार से पांच करोड़ रुपये का सालाना व्यवसाय कर रही हैं. 20 से अधिक महिलाओं को व्यवसाय भी दिया है. इतना ही नहीं अब रानी जरूरतमंद बेटियों की शादी में भी मदद करती हैं. पैसा-कपड़ा और दहेज का सामान देने में गरीब परिवारों की मदद भी कर रही हैं. रानी केवल गरीब महिलाओं की मदद ही नहीं करती, बल्कि बाकी महिलाओं के लिए प्रेरणा भी बनी है.
रानी का सफरनामा:रानी ने बताया कि वह 12 साल पहले अपने पति से अलग हो गई थी. जिस सफलता के लिए उन्हें पति का साथ चाहिए था. वहां, उनके पति ने उनका साथ छोड़ दिया था. तलाक होने के बाद उसके लिए बड़ी चुनौती थी. पिता भई एक साधारण से किसान हैं. उनकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी. उन्होंने दो बच्चों के साथ बहुत संघर्ष किया. उस समय रानी बाजार से कपड़ा खरीदकर लाती थी और उसे तैयार कर मार्केट में बेचना ये सभी काम वे खुद करती थी.