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बुरहानपुर की ईको फ्रेंडली राखियों की मार्केट में बढ़ी डिमांड, जानिए इनकी खासियत - Eco Friendly Banana Stem Rakhi - ECO FRIENDLY BANANA STEM RAKHI

बुरहानपुर के 7 स्व-सहायता समूह की 150 महिलाएं ईको फ्रेंडली राखी बना रही हैं. ये राखियां केले के तने से बनाई जा रही हैं. इससे समाज को दो फायदें होंगे, एक महिलाएं आत्मनिर्भर बनेगी साथ ही पर्यावरण में प्रदूषण नहीं होगा. विधायक अर्चना चिटनिस ने भी महिलाओं की हौसला अफजाई की है.

Eco Friendly Banana Stem Rakhi
बुरहानपुर की 150 महिलाएं बना रहीं ईको फ्रेंडली राखियां (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 13, 2024, 11:34 AM IST

Updated : Aug 13, 2024, 3:50 PM IST

बुरहानपुर: इस आधुनिक युग में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहां महिलाओं ने अपने हुनर का लोहा न मनवाया हो, महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं. अब महिलाओं ने घर की चार दीवारी से बाहर निकलकर इतिहास रच दिया है. मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रहीं हैं. दरअसल, फतेहपुर गांव में महिलाएं केले के तने से ईको फ्रेंडली राखियां बना रही हैं. मार्केट में इन राखियों की खासी डिमांड है.

ईको फ्रेंडली राखियों के महिलाओं को मिल रहे ऑर्डर (ETV Bharat)

विधायक अर्चना चिटनिस ने बढ़ाया हौसला

बुरहानपुर व आसपास के 7 स्व सहायता समूहों की 150 महिलाओं ने अब तक करीब 5 हजार राखियां बनाई हैं. इससे न केवल महिलाओं को रोजगार मिला है, बल्कि उन्हें अच्छी खासी आमदनी भी हो रही हैं. इस बार महिलाओं ने 10 हजार राखियां बनाने का लक्ष्य रखा है. इस काम में प्रशासन भी सहयोग दे रहा है. राखियों की बिक्री प्रशासनिक स्तर पर स्टॉल लगाकर की जा रही है. अधिकारियों ने कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए ईको फ्रेंडली राखियों के ऑर्डर भी दिए हैं. वहीं विधायक अर्चना चिटनिस ने सेंटर पर जाकर महिलाओं का हौसला बढ़ाया है.

10 हजार राखियां बनाने का रखा लक्ष्य

इन राखियों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये बच्चों के लिए बेहतर हैं, क्योंकि आमतौर पर केमिकल युक्त राखियां बच्चे मुंह में लेते हैं. इससे उनके स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है, लेकिन ईको फ्रेंडली राखियों से बच्चों और पर्यावरण को फायदा मिलेगा. समूहों की महिलाओं को जिला पंचायत सीईओ सृष्टि देशमुख, निगमायुक्त संदीप श्रीवास्तव, विधायक अर्चना चिटनिस ने प्रोत्साहित किया हैं. इन्होंने बड़े पैमाने पर राखियों के ऑर्डर दिए हैं. महिलाओं ने रक्षाबंधन के पहले 10 हजार राखियां बनाने का लक्ष्य रखा है.

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पर्यावरण व स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं ये राखियां

इस साल भाई-बहन के रिश्ते का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन 19 अगस्त को मनाया जाएगा. हर बार बहने अपने भाईयों की कलाई पर बांधने के लिए आकर्षक और सुंदर राखियों का चयन करती हैं. इस साल मार्केट में ईको फ्रेंडली राखियां आ गई हैं. ये राखियां न केवल भाइयों की कलाई की शोभा बढ़ाएंगी, बल्कि प्राकृतिक चीजों यानी केले के तने से बनी होने के कारण ये आपके गमलों में जैविक खाद भी बनाएगी. रक्षाबंधन के बाद इन राखियों को गमले में डालकर खाद बना सकते हैं. इससे काफी हद तक पर्यावरण को फायदा पहुंचेगा, साथ ही केमिकल युक्त राखियों से छुटकारा मिलेगा.

Last Updated : Aug 13, 2024, 3:50 PM IST

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