जयपुर. जैसा कि उम्मीद थी कि विधानसभा का बजट सत्र आज भी हंगामेदार होगा, ठीक वैसा ही हुआ. प्रश्नकाल के दौरान कई बार सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नोकझोंक दिखी. खास तौर पर वन मंत्री संजय शर्मा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली की बीच. शर्मा और जूली के बीच आदत और अधिकार को लेकर इस कदर बहस हुई कि विधानसभा अध्यक्ष को बीच में बोलना पड़ा. इसके साथ ही सदन में प्रश्नकाल के दौरान भजनलाल सरकार के मंत्री अपनी पार्टी के विधायकों के सवालों से घिरे दिखाई दिए.
आदत और अधिकार पर नोकझोंक : दरअसल, प्रश्नकाल के दौरान प्रताप लाल भील ने वृक्षारोपण को लेकर सवाल उठाया. प्रताप लाल ने कहा कि जो सवाल का जवाब दिया गया है उसमें कहीं 50 फीसदी और कहीं 61 फीसदी पौधों के जीवित होने की संख्या बताई गई है. इसका क्या कारण है जो पौधारोपण किया गया था, वहां पौधे नहीं मिलते. क्या वास्तविकता में पौधे लगाए जाते हैं ? लगाए गए हैं तो उनकी संख्या बताएं ? प्रताप लाल के जवाब में वनमंत्री संजय शर्मा खड़े हुए और उन्होंने कहा कि पौधारोपण को लेकर के एक रेंज से दूसरे रेंज के अधिकारी के द्वारा जांच की जाती है. इसके साथ थर्ड पार्टी के द्वारा भी जांच कराई जाती है. साथ-साथ भारत सरकार द्वारा सेटेलाइट के माध्यम से हर वर्ष कितना पौधे लगाए गए, उसकी जांच भी कराई जाती है. फिर जो चिंता विधानसभा सदस्य ने जताई है उसकी जांच तीन सदस्य कमेटी बना कर करवा लेंगे.
इसके बाद नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जुली खड़े हुए और उन्होंने कहा कि सरकार ने जो सदन में आंकड़े दिए वो राउंड फिगर में है, इनकी जांच होनी चाहिए. इसके बाद मंत्री संजय शर्मा खड़े हुए और उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष की हर प्रश्न पर खड़े होने की आदत हो गई है. इसके बाद जुली खड़े हुए. उन्होंने कहा कि यह गलत बयान है, आदत नहीं है. यह हमारा अधिकार है. इस तरह से नहीं बोला जा सकता. इसके बाद सदन में पक्ष विपक्ष में नोकझोंक शुरू हो गई. बढ़ती नोंकझोंक को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी खड़े हुए और मामले को शांत कराया. हालांकि इस बीच काफी देर हंगामा चलता रहा. देवनानी ने कहा कि व्यवस्था की जिम्मेदारी मेरी है. मैंने व्यवस्था दे दी है. विपक्ष के साथियों के साथ खड़े होने की जरूरत नहीं है. ज्यादा करेंगे तो अगले प्रश्न की अनुमति नहीं दूंगा. उसके बाद सब शांत हुए.