रांची: हजारीबाग के बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र के महूदी में धार्मिक झंडा निकालने को लेकर उपजा विवाद पुलिस मुख्यालय तक पहुंच चुका है. भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने डीजीपी से मिलकर महूदी घटना में शामिल सीओ, एसडीपीओ, एसडीएम को अविलंब बर्खास्त करने, आन्दोलन के दौरान हुए मुकदमों को वापस लेने और रामनवमी जुलूस निकालने का लाइसेंस देने की मांग की.
मुलाकात के बाद नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने कहा कि महुदी गांव में पिछले 40 वर्षों से रामनवमी का जुलूस निकालने नहीं दिया गया है. साल 2019 में उपायुक्त की अध्यक्षता दोनों पक्षों के साथ हुई वार्ता में रामनवमी झंडा के बदले तिरंगा झंडा निकालने पर सहमति बनी थी. इस बात का आश्वासन भी दिया गया था कि अगले वर्ष से रामनवमी का जुलूस निकालने की अनुमति दे दी जाएगी. लेकिन कोविड के कारण जुलूस नहीं निकाला गया. बाद में जब रामनवमी का जुलूस निकालने का लाइसेंस मांगा तो जिला प्रशासन की तरफ से मना कर दिया गया. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्य सरकार की यह तुष्टिकरण की राजनीति चलने नहीं दी जाएगी.
इस वर्ष भी शांतिपूर्ण तरीके से महावीरी झंडा निकाला गया लेकिन झंडा वापसी के समय सीओ, एसडीपीओ और एसडीएम ने झंडा को वापस नहीं जाने दिया. इससे ग्रामीणों में आक्रोश है. महावीरी झंडा की वापसी के लिए ग्रामीण शांतिपूर्वक धरना दे रहे थे. इसी दौरान जिला प्रशासन ने मुहर्रम जुलूस को हिन्दू क्षेत्र से पार कराने के लिए शांतिपूर्वक धरना दे रहे हिन्दुओं पर लाठीचार्ज किया. इसमें कई ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हो गये. साथ ही कई के खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया और गिरफ्तारी की गयी.
भाजपा के नेताओं ने डीजीपी को बताया कि इस साल मुहर्रम जुलूस के दौरान गिरिडीह के बगोदर, हजारीबाग को महूदी, सोनपुर, नयाटांड, धनबाद के पांडरपाला, सरायकेला के नारायणपुर में हिंसक झड़प हुई है. वहीं दुमका, जमशेदपुर, लोहरदगा, रामगढ़ में फिलिस्तीन के झंडे दिखाने का मामला प्रकाश में आया है. पाकुड़ जिला के गोपीनाथपुर गांव में बकरीद के मौके पर गौ हत्या का विरोध करने पर पश्चिम बंगाल से बांग्लादेशी मुस्लिमों ने गांव पर हमला कर कई घरों में तोड़ फोड़, आगजनी, लूटपाट, बमबाजी और मारपीट की.