गोड्डाःभाजपा से चौथी बार निशिकांत दुबे को गोड्डा लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया है. निशिकांत अपने बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. उनका हालिया बयान की वर्तमान में खूब चर्चा हो रही है. जिसमें निशिकांत दुबे ये कहते दिख रहे है कि झारखंड से सोरेन परिवार अर्थात गुरुजी शिबू सोरेन का वजूद जब तक समाप्त नहीं कर देंगे, तब तक वे चैन से नहीं बैठेंगे. लगभग हर मंच से निशिकांत सोरेन परिवार पर हमलावर रहते हैं.
झामुमो नेता प्रेमनंदन मंडल ने किया पलटवार
ऐसे में झामुमो के नेता भी कहां चुप रहने वाले हैं. इस संबंध में वरिष्ठ झामुमो नेता प्रेमनंदन मंडल कहते हैं कि जिस सोरेन परिवार के बड़े बेटे दिवंगत दुर्गा सोरेन की बदौलत पहली बार निशिकांत सांसद बने, जैसा कि वे खुद कहते रहे हैं कि दुर्गा सोरेन उनके मित्र थे. सोरेन परिवार से उनका पारिवारिक संबंध था और बीमारी के दौरान उन्हें दिल्ली में मदद की थी. बदले में उन्होंने (दुर्गा सोरेन) चुनाव लड़कर दोस्ती निभाई थी. झामुमो नेता प्रेमनंदन ने कहा कि आज निशिकांत इस मुकाम पर हैं तो सिर्फ सोरेन परिवार की वजह से. उन्होंने कहा कि निशिकांत दुबे का शीघ्र राजनीतिक अंत भी होगा.
चौथी बार चुनावी अखाड़े में उतरे हैं निशिकांत
गोड्डा लोक सभा से चौथी बार चुनावी अखाड़े भाजपा के डॉ निशिकांत दुबे उम्मीदवार हैं. इससे पूर्व वे लगातार तीन बार से गोड्डा लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं. निशिकांत ने 2009, 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव जीता था. आज झरखंड में सबसे मुखर सांसदों में उनका नाम है. इसके अलावा वे सोरेन परिवार पर लगातार जुबानी हमला करते रहे हैं.
आखिर क्या हुआ था 2009 के लोकसभा चुनाव में
इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार हेमचंद्र बताते हैं कि सोरेन परिवार के बड़े बेटे दुर्गा सोरेन की बदौलत आज निशिकांत दुबे इस मुकाम पर हैं. उन्होंने बताया कि वर्ष 2009 में निशिकांत दुबे खुद कहते थे कि उन्हें देवघर से गोड्डा का रास्ता तक ठीक से पता नहीं था, तब वे भाजपा से टिकट लेकर चुनाव लड़ने गोड्डा लोकसभा आए थे. इस सीट पर पहले से राजनीति के दो दिग्गज कांग्रेस से पूर्व सांसद फुरकान अंसारी और झाविमो से प्रदीप यादव चुनावी मैदान में थे. पूरे राज्य में कांग्रेस और झामुमो का गठबंधन हो गया था.
2009 के चुनाव में झामुमो से दुर्गा सोरेन ने किया था नामांकन