चंडीगढ़: लोकसभा चुनाव में हरियाणा की सबसे पुरानी अंबाला लोकसभा सीट पर भाजपा को एक दशक बाद हार का सामना करना पड़ा. वर्ष 2014 और वर्ष 2019 में इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी रतनलाल कटारिया विजयी रहे. इस बार उनकी पत्नी बंतो कटारिया चुनावी मैदान में थी, लेकिन मुख्यमंत्री नायब सैनी समेत भाजपा के तीन दिग्गज मंत्री अपने अपने लोकसभा क्षेत्रों में भी बंतो कटारिया को मजबूती नहीं दिला सके.
बंतो मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में पड़ी कमजोर: अंबाला लोकसभा सीट के तहत कुल नौ विधानसभा क्षेत्र आते हैं. जिनमें पंचकूला जिले के कालका, पंचकूला शामिल हैं. अंबाला के नारायणगढ़, अंबाला छावनी, अंबाला शहर, मुलाना और यमुनानगर जिले के सढ़ौरा, जगाधरी और यमुनानगर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. अंबाला जिले का नारायणगढ़ विधानसभा क्षेत्र हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी का गृह जिला है. इसके बावजूद बीजेपी उम्मीदवार बंतो कटारिया यहां से 20,906 वोटों के अंतर से पिछड़ गई. यहां से कांग्रेस प्रत्याशी वरुण चौधरी को कुल 73347 वोट मिली. जबकि भाजपा प्रत्याशी बंतो कटारिया को 52441 वोट प्राप्त हुई.
कैबिनेट मंत्री भी नहीं दिला सके मजबूती: हरियाणा के कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर यमुनानगर जिले की जगाधरी विधानसभा सीट से दो बार विधायक चुने जा चुके हैं, लेकिन इस लोकसभा चुनाव में वो भी लोगों में भाजपा प्रत्याशी बंतो कटारिया के लिए भरोसा पैदा नहीं कर सके. इस विधानसभा क्षेत्र से भी कांग्रेस प्रत्याशी वरुण चौधरी कुल 15446 वोटों से आगे रहे. उन्हें कुल 90435 वोट पड़ी और भाजपा प्रत्याशी बंतो कटारिया को 74989 वोट पड़ी.
परिवहन मंत्री भी नहीं दिला सके बढ़त: हरियाणा के परिवहन मंत्री असीम गोयल अंबाला शहर (विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र) से विधानसभा के लिए चुने जा चुके हैं. वो भी इस लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी बंतो कटारिया को बढ़त नहीं दिला सके. कटारिया इस विधानसभा क्षेत्र में 5699 वोटों से पीछे रही. यहां से कांग्रेस प्रत्याशी वरुण चौधरी को कुल 78798 वोट मिले. जबकि बंतो कटारिया को 73099 वोट मिले.