हिसार:अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के संरक्षक कुलदीप बिश्नोई और प्रधान देवेंद्र बूड़िया का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा. बुधवार को बिश्नोई समाज की राजस्थान में लगभग दो घंटे तक बैठक चली. जिसमें बिश्नोई समाज की पंचायत ने पांच फैसले लिए. बैठक में कुलदीप बिश्नोई का संरक्षक पद खत्म करने का फैसला किया गया. इसके अलावा कुलदीप बिश्नोई से 'बिश्नोई रत्न' की उपाधि वापस लेने का फैसला किया गया.
अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा की बैठक: अब अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराए जाएंगे. समाज के लोगों ने तब तक देवेंद्र बूड़िया को प्रधान रखने का फैसला लिया है. बता दें कि 'बिश्नोई रत्न' की उपाधि पूर्व सीएम भजनलाल को दी गई थी. इसके बाद ये उपाधि पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई को दी गई. जिसे अब वापस लेने का फैसला किया गया है. अब महासभा में कुलदीप या उनके परिवार के सदस्य दखल अंदाजी नहीं कर सकते.
कुलदीप बिश्नोई और देवेंद्र बूड़िया आमने-सामने: बता दें कि संरक्षक कुलदीप ने लेटर जारी करके देवेंद्र बूड़िया को उनके पद से हटा दिया था. बाद में प्रधान ने देवेंद्र बूड़िया ने लेटर जारी करके कुलदीप को संरक्षक पद हटा दिया था. जिससे विवाद बढ़ गया था. अब समाज के लोगों ने ये नए निर्णय लेकर नया कदम उठाया है. बताया जा रहा है कि देवेंद्र बूड़िया और कुलदीप बिश्नोई के बीच राजस्थान चुनाव के वक्त से ही खटपट चल रही थी.
कुलदीप बिश्नोई पर आरोप: देवेंद्र बूड़िया का दावा है कि कुलदीप बिश्नोई ने उनको हरियाणा विधानसभा चुनाव में दस करोड़ चंदा एकत्र करने को कहा. जिसको वो पूरा नहीं कर सके. देवेंद्र ने कहा कि मैंने भव्य बिश्नोई को हरियाणा विधानसभा चुनाव में जिताने का पूरा प्रयास किया. उनके लिए घर घर जाकर वोट मांगे. देवेंद्र बूड़िया ने ये भी कहा कि मुझे विधायक रणधीर पनिहार के पीए ने फोन कर दिल्ली बुलाया. जहां मेरे साथ दुर्व्यवहार किया गया.
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