रायपुर : छत्तीसगढ़ में तरेंगाराज की ताहुतदारी 1828 के दौरान अस्तित्व में आई. गुजरे जमाने में तरेंगा बिलासपुर संभाग के बिलासपुर जिले में आता था. तरेंगाराज ताहुतदारी के अस्तित्व में आने के 48 साल बाद 4 अप्रैल 1976 को दाउ कल्याण सिंह का जन्म हुआ.दाऊ कल्याण सिंह के पिता का नाम बिसेसर नाथ और मां का नाम पार्वती था.तरेंगा में ही दाऊ कल्याण सिंह की शुरुआती शिक्षा हुई.ताहुतदारी बढ़ाने के लिए बिसेसरनाथ में ऐसे निर्जन स्थानों में गांवों को बसाया जहां पर कोई आता जाता ना था.जब निर्जन जगहों पर गांव बसने लगे तो बिसेसरनाथ की ताहुतदारी में इजाफा हुआ.
पिता की मौत के बाद संभाली जिम्मेदारी :1903 यानी 27 साल की उम्र में दाऊ कल्याण सिंह के पिता की मृत्यु हो गई. छोटी सी उम्र में ही तरेंगाराज की ताहुतदारी का जिम्मा दाऊ कल्याण सिंह के कंधों पर आ गया. इस जिम्मेदारी को दाऊ कल्याण सिंह ने बखूबी निभाया.इसी कारण उनकी कार्यकुशलता और प्रशासनिक क्षमता को देखते हुए 1911 में महज 45 साल की उम्र में दाऊ कल्याण सिंह जी को रायसाहब की पदवी से नवाजा गया. इसके सात साल बाद 52 वर्ष की उम्र में 'रामबहादुर' और 16 साल बाद 1944 में 68 वर्ष की उम्र में उन्हें दीवान बहादुर की पदवी मिली.दशहरा वाले दिन जब रियासत के राजा धूमधाम से उत्सव मनाते थे तो तरेंगाराज में भी दाऊजी सफेद घोड़ों से सजी बग्गी पर तैयार होकर निकलते थे. बग्गी के आगे पीछे सैनिक साथ चलते थे.
दानवीर के नाम से पाई प्रसिद्धि :दाऊ कल्याण सिंह को दानवीर कहा जाता है. इसलिए आज भी दाऊ कल्याण सिंह का नाम बड़े अदब से दानदाताओं में सबसे पहले आता है. आज प्रदेश का सबसे बड़ा डीकेएस सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल दाऊ कल्याण सिंह की दान दी गई जमीन पर ही बना है.इस हॉस्पिटल का नाम भी दाऊ कल्याण सिंह के नाम पर रखा गया है.पहले के जमाने में दाऊ कल्याण सिंह ने इसी जगह पर गरीबों के मुफ्त इलाज के लिए अस्पताल बनवाया था. आगे चलकर यही भवन रायपुर का मंत्रालय बना. नवा रायपुर में मंत्रालय बनने के बाद फिर से इसे सुसज्जित हॉस्पिटल बनाकर दाऊ कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि दी गई.
समाज के लिए किए सैंकड़ों काम :दाऊ कल्याण सिंह ने अपनी माता स्वर्गीय पार्वती देवी की स्मृति में जगन्नाथ मंदिर टूरी हटरी में श्रीराम जानकी मंदिर बनवाया. अपनी बहन कुंती बाई के नाम पर कालीबाड़ी रायपुर में सन 1948 में स्कूल इमारत बनवाई. भाटापारा में दाऊ कल्याण सिंह ने अपनी दोनों पत्नियों जनकनंदनी और सरजावती देवी के नाम पर धर्मशाला का निर्माण कराया है.भाटापारा में ही नक्खी तालाब, कल्याण सागर तालाब, रामसागर तालाब, माता देवालय, दाऊ रामसिंह पशु चिकित्सालय का जनहित के ना जाने कितने ही काम दाऊ कल्याण सिंह ने किए.