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छत्तीसगढ़ के भामाशाह दाऊ कल्याण सिंह की जयंती , समाज को आगे लाने में रहा बड़ा योगदान - CHHATTISGARH BHAMASHAH JAYANTI

छत्तीसगढ़ के इतिहास की बात हो और उसमें दाऊ कल्याण सिंह का नाम ना आए ऐसा मुमकिन नहीं.छत्तीसगढ़ के भामाशाह के नाम से मशहूर दाऊ कल्याण सिंह की ख्याति आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है. छत्तीसगढ़ के राजनेताओं ने दाऊ कल्याण सिंह की जयंती के दिन उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है.

CHHATTISGARH BHAMASHAH JAYANTI
छत्तीसगढ़ के भामाशाह दाऊ कल्याण सिंह की जयंती

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 4, 2024, 1:59 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ में तरेंगाराज की ताहुतदारी 1828 के दौरान अस्तित्व में आई. गुजरे जमाने में तरेंगा बिलासपुर संभाग के बिलासपुर जिले में आता था. तरेंगाराज ताहुतदारी के अस्तित्व में आने के 48 साल बाद 4 अप्रैल 1976 को दाउ कल्याण सिंह का जन्म हुआ.दाऊ कल्याण सिंह के पिता का नाम बिसेसर नाथ और मां का नाम पार्वती था.तरेंगा में ही दाऊ कल्याण सिंह की शुरुआती शिक्षा हुई.ताहुतदारी बढ़ाने के लिए बिसेसरनाथ में ऐसे निर्जन स्थानों में गांवों को बसाया जहां पर कोई आता जाता ना था.जब निर्जन जगहों पर गांव बसने लगे तो बिसेसरनाथ की ताहुतदारी में इजाफा हुआ.

पिता की मौत के बाद संभाली जिम्मेदारी :1903 यानी 27 साल की उम्र में दाऊ कल्याण सिंह के पिता की मृत्यु हो गई. छोटी सी उम्र में ही तरेंगाराज की ताहुतदारी का जिम्मा दाऊ कल्याण सिंह के कंधों पर आ गया. इस जिम्मेदारी को दाऊ कल्याण सिंह ने बखूबी निभाया.इसी कारण उनकी कार्यकुशलता और प्रशासनिक क्षमता को देखते हुए 1911 में महज 45 साल की उम्र में दाऊ कल्याण सिंह जी को रायसाहब की पदवी से नवाजा गया. इसके सात साल बाद 52 वर्ष की उम्र में 'रामबहादुर' और 16 साल बाद 1944 में 68 वर्ष की उम्र में उन्हें दीवान बहादुर की पदवी मिली.दशहरा वाले दिन जब रियासत के राजा धूमधाम से उत्सव मनाते थे तो तरेंगाराज में भी दाऊजी सफेद घोड़ों से सजी बग्गी पर तैयार होकर निकलते थे. बग्गी के आगे पीछे सैनिक साथ चलते थे.

दानवीर के नाम से पाई प्रसिद्धि :दाऊ कल्याण सिंह को दानवीर कहा जाता है. इसलिए आज भी दाऊ कल्याण सिंह का नाम बड़े अदब से दानदाताओं में सबसे पहले आता है. आज प्रदेश का सबसे बड़ा डीकेएस सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल दाऊ कल्याण सिंह की दान दी गई जमीन पर ही बना है.इस हॉस्पिटल का नाम भी दाऊ कल्याण सिंह के नाम पर रखा गया है.पहले के जमाने में दाऊ कल्याण सिंह ने इसी जगह पर गरीबों के मुफ्त इलाज के लिए अस्पताल बनवाया था. आगे चलकर यही भवन रायपुर का मंत्रालय बना. नवा रायपुर में मंत्रालय बनने के बाद फिर से इसे सुसज्जित हॉस्पिटल बनाकर दाऊ कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि दी गई.

समाज के लिए किए सैंकड़ों काम :दाऊ कल्याण सिंह ने अपनी माता स्वर्गीय पार्वती देवी की स्मृति में जगन्नाथ मंदिर टूरी हटरी में श्रीराम जानकी मंदिर बनवाया. अपनी बहन कुंती बाई के नाम पर कालीबाड़ी रायपुर में सन 1948 में स्कूल इमारत बनवाई. भाटापारा में दाऊ कल्याण सिंह ने अपनी दोनों पत्नियों जनकनंदनी और सरजावती देवी के नाम पर धर्मशाला का निर्माण कराया है.भाटापारा में ही नक्खी तालाब, कल्याण सागर तालाब, रामसागर तालाब, माता देवालय, दाऊ रामसिंह पशु चिकित्सालय का जनहित के ना जाने कितने ही काम दाऊ कल्याण सिंह ने किए.

कृषि महाविद्यालय के लिए जमीन दी दान : कृषि के क्षेत्र में भी दाऊ कल्याण सिंह ने बड़े काम करवाएं हैं.प्रदेश को कृषि के क्षेत्र में आगे करने और शिक्षा के विस्तार के लिए दाउ कल्याण सिंह अग्रवाल ने कृषि महाविद्यालय बनाने के लिए 1729 एकड़ जमीन दान दी थी. उस समस कृषि महाविद्यालय बनवाने के लिए एक लाख 12 हजार रुपए की नकद राशि भी दाऊ कल्याण सिंह ने दी. आज इंदिरागांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर पूरे देश में ख्याति पा रहा है.

छत्तीसगढ़ की राजनीतिक हस्तियों ने दी श्रद्धांजलि :दाऊ कल्याण सिंह के जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ के राज्यपाल समेत राजनीतिक हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है.

विश्वभूषण हरिचंदन, राज्यपाल : जीवनपर्यंत दीन-दुखियों की सेवा करने वाले, छत्तीसगढ़ के ‘भामाशाह’ के नाम से विख्यात, दाऊ कल्याण सिंह जी की जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन.

डॉ चरणदास महंत,नेता प्रतिपक्ष छग : दीन-दुखियों की सेवा में सदैव तत्पर रहने वाले प्रसिद्ध समाजसेवी एवं दानवीर दाऊ कल्याण सिंह जी की जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन. छत्तीसगढ़ के दानवीरों में आपका नाम चिरकाल तक स्मरण किया जाएगा.

ज्योत्सना चरणदास महंत,सांसद कोरबा :छत्तीसगढ़ के महान समाजसेवी दीन-दुखियों की सेवा में सदैव तत्पर रहने वाले दानवीर दाऊ कल्याण सिंह जी की जयंती पर उन्हें कोटिश: नमन.

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