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बिहार में मुखिया और वार्ड सदस्यों के लिए बड़ी खुशखबरी, टेंडर पर पुनर्विचार करेगी बिहार सरकार - Panchayati Raj Department In Bihar - PANCHAYATI RAJ DEPARTMENT IN BIHAR

Bihar Panchayati Raj Department: बिहार के मुखिया और वार्ड सदस्यों के लिए अच्छी खबर है. 19 जून को कैबिनेट की बैठक में पंचायतों में बिना कोई टेंडर काम नहीं करना का फैसला लिया गया था लेकिन अब सरकार इसको लेकर पुनर्विचार करेगी. इसके बाद फैसला लिया जाएगा. सरकार ने 15 लाख से कम राशि वाले काम भी टेंडर के माध्यम से कराने का फैसला लिया था. पढ़ें पूरी खबर.

बिहार में मुखिया और वार्ड सदस्यों के लिए बड़ी खुशखबरी
बिहार में मुखिया और वार्ड सदस्यों के लिए बड़ी खुशखबरी (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 22, 2024, 10:09 AM IST

पटनाःनीतीश सरकार ने 2 दिन पहले कैबिनेट बैठक में पंचायती राज विभाग को लेकर बड़ा फैसला लिया था. 15 लाख से कम की राशि के भी काम टेंडर से कराने का फैसला लिया था लेकिन अब सरकार अपने फैसले पर यू टर्न लेती दिख रही है. कैबिनेट में लिए गए फैसले से मुखिया पर लगाम लगाने की कोशिश सरकार करने वाली थी लेकिन मुखिया संघ की नाराजगी को देखते हुए पुनर्विचार करने का फैसला लिया है. इसकी जानकारी पंचायती राज विभाग के मंत्री केदार गुप्ता ने दी.

"मुख्यमंत्री फिर से इस पर पुनर्विचार करेंगे. लोकतंत्र में जनता के लिए जनता द्वारा चुनी गई सरकार ही काम करती है. एनडीए सरकार विकास के लिए काम कर रही है. गलत जो करेगा उसका फैसला जनता करेगी."-केदार गुप्ता, पंचायती राज विभाग

लोगों की कठिनाई देख लिया गया फैसला: 19 जुलाई को कैबिनेट की बैठक में नीतीश सरकार ने पंचायत निर्माण कार्य मैन्युअल की स्वीकृति दी थी. पंचायती राज विभाग के प्रस्ताव में कहा गया है कि पंचायत द्वारा अधिकांश योजनाओं का क्रियान्वयन से विभागीय कर्मी अन्य क्रियाकलापों-उत्तरदायित्व के प्रति ध्यान नहीं देते थे. जिस कारण नागरिकों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है.

मुखिया संघ ने जतायी नाराजगीः सरकार ने फैसला लिया कि छोटी-छोटी योजनाओं के लिए ग्राम पंचायत व पंचायत समिति स्तर पर 15 लाख रुपए तक की लागत वाली योजनाओं का सीमित निविदा के माध्यम से एवं अन्य सभी कार्य खुली निविदा के माध्यम से कराए जाएंगे. कैबिनेट में लिए गए फैसले का सीधा असर मुखिया और प्रमुख पर पड़ने वाला था. उनके वित्तीय अधिकार पर लगाम लग जाता. इसी के बाद मुखिया संघ ने इस पर अपनी नाराजगी जताई थी और आंदोलन की बात कही.

सरकार के नियंत्रण में आ जाएगा काम: सरकारी आंकड़ा के अनुसार पंचायत स्तर पर छोटी-छोटी योजनाओं के माध्यम से 9000 करोड़ से अधिक की राशि का काम हर साल हो रहा है. इस फैसले से यह पूरा काम सरकार के नियंत्रण में आ जाता. कैबिनेट में लिए गए प्रस्ताव में कई तरह के प्रावधान किए गए थे जिस में एकल निविदा की स्थिति में दोबारा निविदा आमंत्रित की जाएगी.

कैसे जारी होगा टेंडरः ग्राम पंचायत स्तर पर निविदा आमंत्रण और खुलने के लिए सक्षम प्राधिकारी कार्यपालक पदाधिकारी पंचायत समिति होंगे. निविदा निष्पादन हेतु सक्षम प्राधिकार संबंधित मुखिया की अध्यक्षता में गठित समिति होगी. एक स्तर उच्च प्राधिकार जिला पंचायत राज पदाधिकारी होंगे. पंचायत समिति के स्तर पर निविदा आमंत्रण और खोलने हेतु सक्षम प्राधिकार कार्यपालक पदाधिकारी पंचायत समिति होंगे तो निविदा निष्पादन के लिए सक्षम प्राधिकार प्रमुख पंचायत समिति की अध्यक्षता में गठित समिति होगी और एक स्तर उच्च प्राधिकार जिला पंचायत राज पदाधिकारी होंगे.

समय से काम पूरा करना होगाःपंचायती राज विभाग अंतर्गत क्रियान्वित योजनाओं के कार्य समाप्ति की अधिकतम अवधि का निर्धारण भी कर दिया गया है. इसमें 15 लाख तक के कार्य 6 माह में करने होंगे. 15 लाख से 50 लाख तक के कार्य आठ, 50 लाख से 1 करोड़ तक का कार्य 10 माह, एक करोड़ से 2 करोड़ तक का कार्य 12 माह, 2 करोड़ से 5 करोड़ तक के कार्य 15 माह में और 5 करोड़ से अधिक के कार्य 18 माह में पूरा करने होंगे. सिर्फ बाढ़ और आपदा के समय ही बिना निविदा के काम किया जाएगा.

क्या फैसला करेगी सरकार? सरकार के इस फैसले का मुखिया संघ ने विरोध जताया. मुखिया संघ में असंतोष को देखते हुई इस फैसले को पुनर्विचार के लिये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास भेज दिया है. देखना है कि मुख्यमंत्री अब इस मामले में क्या फैसला लेते हैं? ऐसे जो जानकारी मिल रही है कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद ही पंचायती राज विभाग ने पुनर्विचार के लिए फाइल आगे बढ़ाया है. संभव है नीतीश कुमार इसपर फैसला लेंगे.

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