गोरखपुर :शहर के बेतियाहाता में मौजूद 51 एकड़ जमीन बिहार के बेतिया राज परिवार की है. राज परिवार का कोई वारिस न होने के कारण बिहार सरकार ने इस संपत्ति पर अपना दावा ठोक दिया है. इस जमीन पर लोग घर बनाकर रह रहे हैं. कई अफसरों के आवास भी यहीं हैं. महाराजगंज और कुशीनगर जिले में भी इसी परिवार की जमीन है. इनका सत्यापन कराया जा रहा है. बिहार विधान मंडल में 26 नवंबर 2024 को विधेयक भी पास हो चुका है. इसके गजट का प्रकाशन भी 27 नवंबर को हो चुका है. अब इसकी नियमावली तैयार की जा रही है. जमीनों को चिह्नित करने के बाद इन्हें खाली कराने के लिए यूपी और बिहार सरकार को मिलकर फैसला लेना है.
गजट के अनुसार जहां-जहां बेतिया राज की जमीन है, उसे बेतिया राज के खाते में ट्रांसफर करने के लिए बिहार सरकार ने उन प्रदेशों की सरकार और स्थानीय जिला प्रशासन के साथ मिलकर कवायद शुरू कर दी है. बिहार सरकार की तरफ से संपत्ति की जांच और उसे कब्जे में लेने के लिए गोरखपुर में नियुक्त किए गए राजस्व अधिकारी बद्री प्रसाद गुप्ता ने इसे लेकर कई अहम जानकारियां दीं. बताया कि बेतियाहाता में मौजूद बेतिया राज की ज्यादातर संपत्ति पर सरकारी निर्माण हुआ है. इसमें मुख्य रूप से कमिश्नर आवास, प्रिंसिपल जज, मुख्य विकास अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी समेत कई बड़े अधिकारियों के आवास शामिल हैं.
बिहार और यूपी सरकार को लेना है निर्णय :राजस्व अधिकारी ने बताया कि कमिश्नर आवास किसी जमाने में बेतिया राज की महारानी का आवास हुआ करता था. जिले के प्रभारी जिला अधिकारी/ मुख्य विकास अधिकारी संजय मीणा का कहना है कि सरकारी निर्माण सुरक्षित हैं. इस संबंध में बिहार- उत्तर प्रदेश सरकार का संवाद हो रहा है. बेतियाहाता शहर के सबसे पॉश इलाकों में गिना जाता है. दोनों प्रदेशों की सरकारों को जो भी निर्णय होगा. उससे आगे अवगत कराया जाएगा.
बद्री प्रसाद गुप्ता के अनुसार बेतियाहाता की 51 एकड़ भूमि बेतिया राज परिवार की है. इस जमीन पर ज्यादातर सरकारी भवन, स्कूल कॉलेज, धार्मिक स्थल, सड़क और नाली का निर्माण हुआ है. 8 एकड़ जमीन पर ही निजी निर्माण हुआ है. कुछ जमीन खाली भी हैं. इसे बिहार सरकार प्राथमिकता के आधार पर अपने कब्जे में लेगी. बिहार राजस्व परिषद की टीम यहां पहुंचकर संपत्ति का सत्यापन कर रही है. संदेह होने पर पैमाइश भी कराई जाएगी.
मकानों में रह रहे लोगों को देनी पड़ सकती है दोगुनी कीमत :गोरखपुर जिला प्रशासन ने बीते नवंबर में संपत्ति का जायजा लेने गोरखपुर आए बिहार राजस्व परिषद के अध्यक्ष केके पाठक को कुछ महत्वपूर्ण सुझाव और विकल्प दिए थे. बताया गया है कि राज परिवार की जमीन पर निजी निर्माण करा चुके लोगों को नोटिस देकर वर्तमान सर्किल रेट से 2 गुना कीमत जमा कराकर जमीन उन्हें दे दी जाए, जो राजी नहीं होंगे, उनके खिलाफ केस दाखिल कर आगे की कार्रवाई की जा सकती है. परिषद के अध्यक्ष ने इस पर सहमति जताई थी. भरोसा भी दिया था कि वह इस संबंध में जल्द ही बिहार सरकार से जरूरी कार्रवाई के लिए शासनादेश जारी कराने का प्रयास करेंगे.
गोरखपुर में बिहार सरकार के राजस्व अधिकारी बद्री प्रसाद गुप्ता के नेतृत्व में संपत्ति के सत्यापन का काम चल रहा है. ईटीवी भारत को उन्होंने बताया कि बिहार विधान मंडल में विधेयक पास होने के बाद उसका प्रकाशन भी हो गया है. नियमावली तैयार की जा रही है. इसके बाद बेतिया राज की संपत्ति पर काबिज लोगों पर क्या और किस तरह की कार्रवाई होगी, इसकी भी स्थिति स्पष्ट होगी. गोरखपुर समेत मंडल के अन्य जिलों में भी टीम सत्यापन कर रही है. संपत्ति पर कोई नया निर्माण न हो, इसकी निगरानी करना और उसे रोकना उनकी पहली प्राथमिकता है.