जांजगीर चांपा : छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा यू ही नहीं कहा जाता. यहां की तीज-त्यौहार और परम्परा अपने आप में अनूठा है. इस पारम्परिक त्यौहार में से एक भोजली का त्यौहार भी है. आज मंगलवार को जांजगीर चाम्पा जिले में धूमधाम के साथ भोजली तिहार मनाया गया. इस दौरान बालिकाओं ने एक दूसरे को सखी बनना कर आजीवन मित्रता निभाने का संकल्प लिया. भोजली के उपज से आने वाले धान के उपज का आंकलन कर किसान भी खुश दिख रहे हैं.
प्रकृति प्रेम और खुशहाली से जुड़ा है भोजली तिहार : छत्तीसगढ़िया पर्व भोजली तिहार रक्षाबंधन के दूसरे दिन मनाया जाता है. इस साल भी छत्तीसगढ़ में रक्षा बंधन के दूसरे दिन यानी मंगलवार 20 अगस्त को भोजली त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. भोजली तिहार को मित्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस त्यौहार को अच्छी वर्षा, फसल और सुख-समृद्धि की कामना के लिए भी मनाया जाता है. यह त्यौहार प्रकृति प्रेम और खुशहाली से जुड़ा है.
छत्तीसगढ़िया फ्रेंडशिप तिहार है भोजली :भोजली को छत्तीसगढ़ मे मितान तिहार के रुप मे भी जाना जाता है. आज जांजगीर चाम्पा जिला मे भोजली उत्सव के अवसर पर गांव-गांव में भोजली विसर्जन का आयोजन किया गया. पेण्ड्री गांव में बेटियों के साथ महिला-पुरुष गाजा बाजा के साथ भोजली विसर्जन करने निकले. स्थानीय कलाकारों ने आल्हा और उदल राजा की कहानी से जुड़ी झांकी निकाली और भोजली को देवी गंगा के सामान पवित्र बताते हुए गुणगान किया.