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छत्तीसगढ़ी फ्रेंडशिप डे, जांजगीर में धूमधाम से मनाया गया भोजली तिहार - Bhojali Festival - BHOJALI FESTIVAL

छतीसगढ़ का पारंपरिक पर्व भोजली तिहार भाईचारे और सद्भावना का प्रतीक है. इसलिए इसे मित्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है. मंगलवार को जांजगीर चाम्पा जिले में धूमधाम के साथ भोजली तिहार मनाया गया. इस दौरान बच्चों ने एक-दूसरे को दोस्त बनना कर आजीवन मित्रता निभाने का संकल्प लिया.

Bhojli Festival of Chhattisgarh
छतीसगढ़ का भोजली तिहार (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 20, 2024, 11:03 PM IST

जांजगीर में धूमधाम से मनाया गया भोजली तिहार (ETV Bharat Chhattisgarh)

जांजगीर चांपा : छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा यू ही नहीं कहा जाता. यहां की तीज-त्यौहार और परम्परा अपने आप में अनूठा है. इस पारम्परिक त्यौहार में से एक भोजली का त्यौहार भी है. आज मंगलवार को जांजगीर चाम्पा जिले में धूमधाम के साथ भोजली तिहार मनाया गया. इस दौरान बालिकाओं ने एक दूसरे को सखी बनना कर आजीवन मित्रता निभाने का संकल्प लिया. भोजली के उपज से आने वाले धान के उपज का आंकलन कर किसान भी खुश दिख रहे हैं.

प्रकृति प्रेम और खुशहाली से जुड़ा है भोजली तिहार : छत्तीसगढ़िया पर्व भोजली तिहार रक्षाबंधन के दूसरे दिन मनाया जाता है. इस साल भी छत्तीसगढ़ में रक्षा बंधन के दूसरे दिन यानी मंगलवार 20 अगस्त को भोजली त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. भोजली तिहार को मित्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस त्यौहार को अच्छी वर्षा, फसल और सुख-समृद्धि की कामना के लिए भी मनाया जाता है. यह त्यौहार प्रकृति प्रेम और खुशहाली से जुड़ा है.

छत्तीसगढ़िया फ्रेंडशिप तिहार है भोजली :भोजली को छत्तीसगढ़ मे मितान तिहार के रुप मे भी जाना जाता है. आज जांजगीर चाम्पा जिला मे भोजली उत्सव के अवसर पर गांव-गांव में भोजली विसर्जन का आयोजन किया गया. पेण्ड्री गांव में बेटियों के साथ महिला-पुरुष गाजा बाजा के साथ भोजली विसर्जन करने निकले. स्थानीय कलाकारों ने आल्हा और उदल राजा की कहानी से जुड़ी झांकी निकाली और भोजली को देवी गंगा के सामान पवित्र बताते हुए गुणगान किया.

गेहूं के बालियों से तय होता है धान फसल की पैदावार :भोजली याने गेहूं या चांवल को अंकुरित कर नाग पंचमी के दिन अंधेरे कमरे में रख कर उगाया जाता है. महिलाएं इसे देवी-देवता की तरह पूजा करती हैं और सुबह शाम हल्दी पानी का छोड़काव कर धूप-दीप दिखाती हैं, भजन भी करती हैं. आज पेंड्री गाव में राखी के दूसरे दिन शाम को गांव की सभी महिलाएं चौंक चौरहों में इकट्ठा होकर भोजली विसर्जन करने तालाब की ओर रवाना हुई. गांव के बुजुर्ग इस परम्परा को जात-पात, ऊंच-नीच की भावना से परे बताते हैं. गांव की एकता के लिए ऐसे त्यौहार को महत्वपूर्ण बताते हैंं. गांव के बुजुर्ग बिसून कश्यप ने बताया,

"भोजली देकर बड़ों का सम्मान करते हैं. बेटियां एक दूसरे से मितान बनाती है और किसान भोजली के ऊंचाई और उसके रंग को देखकर अपने धान की फसल का अंदाजा लगा लेते हैं." - बिसुन कश्यप, गांव के प्रमुख नागरिक

छत्तीसगढ़ का पारम्परिक त्यौहार भोजली गांव के एकता और बेटियों के सम्मान के लिए पुराने समय से आयोजित किया जाता रहा है. इस दौरान आल्हा-उदल द्वारा अपनी बहनों के सम्मान की रक्षा के लिए किए गए उपाय को प्रदर्शित किया जाता है. इस परम्परा को आगे भी चलाने के लिए युवा वर्ग को बुजुर्ग जानकारी देते हैं.

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