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झालावाड़ में भारत बंद का व्यापक असर, बाजार बंद, बसें भी नहीं चली - Bharat Bandh in jhalawar

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 21, 2024, 1:46 PM IST

आरक्षण में उपवर्गीकरण के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में अनुसूचित जाति व जनजाति संगठनों की ओर से बुधवार को बुलाए गए भारत बंद का झालावाड़ में व्यापक असर रहा. दुकानें बंद रही. बसें भी नहीं चली. इधर, अनुसूचित जनजाति का एक वर्ग कोर्ट के फैसले के पक्ष में दिखा.

Bharat Bandh in jhalawar
झालावाड़ में भारत बंद का व्यापक असर (Photo ETV Bharat Jhalawar)

झालावाड़:अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में उप वर्गीकरण के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में बुधवार को भारत बंद आहूत किया गया. जिले में सुबह से ही बंद का व्यापक असर दिखाई दे रहा है. बाजार बंद है. सड़कों पर वाहनों की आवाजाही कम है. रोडवेज की बसें भी नहीं चली.ऐसे में एक तरफ जहां यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, वहीं पहले से ही घाटे से जूझ रहे रोडवेज के झालावाड़ डिपो को राजस्व नुकसान होगा.

राजस्थान परिवहन निगम के झालावाड़ डिपो के ट्रैफिक इंचार्ज प्रतीक मीणा ने बताया कि बंद के दौरान बसों में तोड़फोड़ की आशंका रहती है. इसलिए प्रदेश मुख्यालय ने रोडवेज बसों का संचालन नहीं करने का निर्देश दिया है. बसें सुबह से नहीं चलाई जा रही. रास्ते में चल रही बसों को थाना परिसर में या अन्य सुरक्षित स्थान पर खड़ा किए जाने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि दोपहर 2:00 के बाद डिपो से बसों का संचालन किया जाएगा. झालावाड़ डिपो से 67 बसों से विभिन्न मार्गों पर चलती है. बुधवार को बस संचालन बंद रहेगा, इससे राजस्व का नुकसान होगा. इसका आंकलन एक दिन बाद किया जाएगा.

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चाय नाश्ते की दुकानें भी रही बंद: बंद के चलते जिले भर में चाय नाश्ते की दुकानें भी बंद रही. संगठनों ने झालावाड़ जिले में शिक्षण संस्थानों और इमरजेंसी सेवाओं जैसे मेडिकल शॉप, पेट्रोल पंप और क्लिनिक पूरे जिले में खुले हुए हैं. एससी एसटी वर्ग के संगठनों के द्वारा झालावाड़ जिले में प्रातः 9:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक बंद का आह्वान किया है.

बता दें कि 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लिए आरक्षण में उप वर्गीकरण करने का फैसला दिया गया था. अनुसूचित जाति व जनजाति कई संगठनों ने इस फैसले का विरोध किया है. हालांकि कुछ संगठनों ने कोर्ट के फैसले का स्वागत भी किया है. मंगलवार को मनोहरथाना में राजस्थान आदिवासी भील आरक्षण संघर्ष समिति के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने एसडीएम को राष्ट्रपति तथा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंप आरक्षित 12 प्रतिशत आरक्षण में से भील समाज के लिए 6 प्रतिशत अलग आरक्षण कोटा निर्धारित करने की मांग की थी.

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