बैतूल: डूल्हारा गांव में तवा नदी के किनारे बड़ी मात्रा में 'काला सोना' मिलता है. प्रशासन की नाक के नीचे बगैर अनुमति सालों से माफिया इसकी बेहिसाब खुदाई करवाते चले आ रहे हैं. कहा जाए तो गांव की अर्थव्यवस्था इस पर ही टिकी है. काला सोना यानि कोयले को अवैध रूप से यहां निकाला जाता है. गांव के लोग कोल माफिया के लिए काम करते हैं. यहां जमीन की सतह से थोड़ी ही नीचे कोयला मिल जाता है.
सुरंग बनाकर खोदते हैं कोयला खदान
डूल्हारा गांव में ग्रामीण सुरंग बनाकर खदान खोदते हैं. कई बार कुएं जैसी खदान भी खोदते हैं. खदानों के मुहाने ऐसे बनाए जाते हैं कि वो दूर से दिखाई नहीं देते. इन मुहानों से अंदर जाकर वहां तक खुदाई की जाती है जहां तक कि कोयला मिलता है. कई बार इन खदानों में 50 से 100 फीट तक कि सुरंगे बन जाती हैं. जिनमें घुसकर मजदूर कोयला खोदकर निकालते हैं. कुछ जगहों पर गहरे कुएं दिखाई देते हैं जो काफी पुराने हैं लेकिन खतरनाक हैं. इन अवैध कोयला खदानों में हजारों टन कोयला निकाला जा चुका है.