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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 5 hours ago

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हाईकोर्ट ने कहा- अपराध किया है तो सिविल वाद लंबित होने का लाभ नहीं मिल सकता, आरोपी की याचिका खारिज - Allahabad High Court Order

प्रयागराज में मंगलवार को अपने एक आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अगर अपराध किया है तो सिविल वाद लंबित रहने का लाभ आरोपी को नहीं मिल सकता.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश (Photo Credit- ETV Bharat)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि प्रथाम दृष्टया अपराध गठित होता है, तो याची को इस बात का लाभ नहीं मिल सकता कि इसी मामले में सिविल वाद लंबित है. कोर्ट ने गलत तरीके से रजिस्ट्री करने के आरोपी अभियुक्तगण की गिरफ्तारी पर रोक मांग को खारिज कर दिया.

कोर्ट ने कहा कf सिविल वाद के लंबित रहने का फायदा याचीगण को नहीं मिल सकता है. यह आदेश न्यायमूर्ति वीके बिरला और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने आगरा निवासी सुबोध उर्फ सुबोध कुमार और तीन अन्य की याचिका पर दिया है. याचिका में बहस के दौरान सरकारी वकील पीके जैसवार ने बताया कि विवेचना में आई पी सी की धारा 467, 468, 471 को बढ़ा दिया गया है.

इसके अतिरिक्त याची सुबोध कुमार के विरुद्ध छह अपराधिक केस का इतिहास है. इसके साथ ही उनकी पत्नी लता के खिलाफ भी एक केस का अपराधिक इतिहास है और विवेचना में धारा 120 बी (अपराधिक षड्यंत्र) को भी शामिल किया गया है. इसके साथ यह भी बताया गया कि याचीगण मामले में अग्रिम जमानत आगरा कोर्ट ने खारिज कर दी है.

इसका जिक्र इस याचिका में नहीं किया गया. इसके साथ यह भी कहा गया की एक रजिस्ट्री वर्ष 2021 में की गई है और प्राथमिक भी उमा राजपूत ने सिकंदरा थाने में दर्ज कराई गई है. इस आधार पर न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपी की याचिका को खारिज कर दिया.

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