लखनऊ:बेसिक शिक्षा विभाग दिव्यांग बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए बड़ा कदम उठाया है. विभाग प्रदेशभर के 1.33 लाख परिषदीय विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को नोडल टीचर्स के रूप में प्रशिक्षित करा रही है. इनके पहले चरण के प्रशिक्षण कार्यक्रम में 66000 से अधिक प्रधानाध्यापकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है और बाकी को प्रशिक्षित किया जा रहा है. नोडल टीचर के रूप में अब सभी प्रधानाध्यापक, परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत दिव्यांग बच्चों की आवश्यकताओं को समझकर उन्हें उचित शैक्षिक वातावरण और सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे.
बेसिक शिक्षा विभाग में 3 लाख हैं विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चे :प्रदेश में लगभग 3 लाख विशेष आवश्यकता वाले बच्चे परिषदीय विद्यालयों में पढ़ रहे हैं. इनके उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए ब्लॉक संसाधन केंद्रों पर 10 दिवसीय (05-05 दिवसीय दो बैच) प्रशिक्षण कार्यक्रम किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में प्रधानाध्यापकों को दिव्यांग बच्चों की देखभाल, उनकी जरूरतों को समझने, शिक्षण तकनीकों, सरकारी योजनाओं की जानकारी और अभिभावकों से संवाद जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर प्रशिक्षित किया जा रहा है.
बेसिक शिक्षा विभाग प्रधानाध्यापकों को दे रहा है स्पेशल ट्रेनिंग; दिव्यांग छात्रों को पढ़ाने के तरीके पर फोकस - BASIC EDUCATION DEPARTMENT
बेसिक के 1.33 लाख परिषदीय विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को किया जा रहा प्रशिक्षित. लगभग 3 लाख दिव्यांग छात्रों को मिलेगा लाभ.
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Feb 13, 2025, 7:43 PM IST
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प्रशिक्षण की यह हैं मुख्य विशेषताएं :प्रधानाध्यापकों को नोडल टीचर्स के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि वे अपने विद्यालय में दिव्यांग बच्चों की जरूरतों का ध्यान रखते हुए उन्हें शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ सकें. सीडब्ल्यूएसएन बच्चों की उपस्थिति को समर्थ पोर्टल पर दर्ज करने की प्रक्रिया भी सिखाई जायेगी, जिससे सरकारी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन संभव हो सकेगा. अभिभावकों से संवाद स्थापित कर बच्चों की समस्याओं के समाधान और शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के उपायों पर चर्चा की जाएगी. समावेशी शिक्षा को प्रभावी बनाने के लिए आधुनिक शिक्षण तकनीकों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा.
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा, हर बच्चे की शिक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध है. चाहे वह किसी भी परिस्थिति में हो. परिषदीय विद्यालयों में लगभग 3 लाख विशेष आवश्यकता वाले बच्चे पढ़ रहे हैं, जिन्हें शिक्षा की मुख्यधारा में जोड़ना हमारी प्राथमिकता है. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से प्रधानाध्यापक न केवल इन बच्चों की जरूरतों को समझ पाएंगे, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
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