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कानपुर में सिख दंगा; 37 साल बाद दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान और कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक - HIGH COURT NEWS

कानपुर के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा संज्ञान लेकर आपराधिक प्रक्रिया शुरू करने की कार्रवाई पर अग्रिम आदेश तक रोक लगाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 21, 2025, 10:38 PM IST

प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर में 1984 के सिख दंगे में लगभग 37 साल बाद एसआईटी द्वारा चार्जशीट दाखिल करने और उस पर कानपुर के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा संज्ञान लेकर याचियों को सम्मन कर आपराधिक प्रक्रिया शुरू करने की कार्रवाई पर अग्रिम आदेश तक रोक लगा दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा ने ब्रजेश दुबे व दो अन्य की अर्जी पर दिया है.

इस घटना की एफआईआर वर्ष 1984 में अरमापुर थाने में दर्ज कराई गई थी. अर्जी में 29 अगस्त 2022 को दाखिल चार्जशीट और उस पर कानपुर के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा 14 सितंबर 2022 को संज्ञान लेकर समन करने के आदेश को चुनौती दी गई है. अधिवक्ता अतुल शर्मा का कहना था कि मृतक वजीर सिंह के पुत्र मंजीत सिंह ने तीन बार के बयान में याचियों का नाम नहीं लिया है. उसने चौथे बयान में नाम लिया है. अधिवक्ता ने कहा कि याचियों की घटना में संलिप्तता का कोई साक्ष्य नहीं है और मंजीत के बयान पर विश्वास नहीं किया जा सकता. हाईकोर्ट ने फिलहाल मजिस्ट्रेट अदालत में लंबित केस की सुनवाई की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है.

वर्ष 1984 में सिख दंगे की प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पुलिस ने जांच की थी और 1996 में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एसआईटी ने फिर विवेचना शुरू की और घटना के 37 साल बाद इस मामले में चार्जशीट दाखिल की गई.

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