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पौराणिक बागनाथ मंदिर पर मंडराया खतरा! पीपल के पौधे जमा रहे कब्जा, धरोहर पर काई भी जमी - Bagnath Temple Bageshwar - BAGNATH TEMPLE BAGESHWAR

Bagnath Temple of Bageshwar in Danger By Peepal Tree उत्तराखंड के ऐतिहासिक और पौराणिक बागनाथ मंदिर पर खतरे का साया मंडरा रहा है. खतरे की वजह पीपल के पौधे हैं, जो मंदिर की छत पर अपनी जड़ें जमा चुके हैं. इसके अलावा काई भी जम चुकी हैं. जिसे लेकर मंदिर के पुजारी और पंडित चिंतित हैं.

Bagnath Temple Bageshwar
बागनाथ मंदिर बागेश्वर (फोटो- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 15, 2024, 5:40 PM IST

Updated : Aug 15, 2024, 6:32 PM IST

पौराणिक बागनाथ मंदिर पर मंडराया खतरा! (वीडियो- ETV Bharat)

बागेश्वर:कत्यूरी और चंद शासकों के शासनकाल के दौरान निर्मित बैजनाथ एवं बागनाथ मंदिर देखरेख के अभाव में उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं. मंदिरों के छत पर पीपल के पेड़ अपनी जड़ें जमा चुकी है. जिससे मंदिरों को खतरा बन गया है. अपनी अनूठी नागर शैली की वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध ये ऐतिहासिक तीर्थ स्थल आठवीं से बारहवीं शताब्दी के हैं. इन मंदिरों में पत्थर से लेकर अष्टधातु से बनी दुर्लभ मूर्तियां हैं.

बागनाथ मंदिर की छत पर उग रहे पीपल के पौधे (फोटो- ETV Bharat)

बता दें कि बैजनाथ मंदिर के रखरखाव की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की है. जबकि, बागनाथ मंदिर राज्य पुरातत्व विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है. बागनाथ एक पौराणिक मंदिर है. जो मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. चंद वंश के राजाओं का बागनाथ मंदिर से अटूट रिश्ता रहा है. बागनाथ मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में हुआ था. जबकि, मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण 1602 में चंद वंश के राजा लक्ष्मी चंद ने कराया था.

बागनाथ मंदिर में जून से तैनात नहीं राज्य पुरातत्व विभाग का कोई कर्मचारी: वर्तमान में बागनाथ मंदिर के साथ ही अन्य मंदिरों की उपेक्षा का आलम ये है कि इसकी छत पर पीपल का पेड़ जड़ जमा चुका है. पंडित हेम चंद्र पाठक कहते हैं कि बागनाथ मंदिर में जून से राज्य पुरातत्व विभाग का कोई कर्मचारी तैनात नहीं है. जिसके चलते यह स्थिति हो गई है. उन्होंने पुरातत्व विभाग को इस पर जल्द संज्ञान लेने को कहा.

पीपल के पौधे जमने से मंदिर को खतरा (फोटो- ETV Bharat)

पुजारी नंदन सिंह रावल बोले- पुरातात्विक धरोहरों की हो रही उपेक्षा: वहीं, बागनाथ मंदिर के पुजारी नंदन सिंह रावल ने कहना है कि मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी राज्य पुरातत्व विभाग के अधीन है. बागनाथ मंदिर परिसर के एक कमरे में पुरातत्व विभाग ने 60 से ज्यादा प्राचीन प्रतिमाएं रखी हैं. इनमें उमा-महेश्वर, महिषासुर मर्दिनी, गणेश, विष्णु समेत आदि देवी-देवताओं की प्रतिमाएं शामिल हैं.

पुजारी नंदन सिंह रावल ने कहा कि पुरातात्विक विभाग की ओर से इन पुरातात्विक धरोहरों की जो उपेक्षा की जा रही है, वो सही नहीं है. उन्होंने कहा कि पीपल के वृक्ष उगने से मंदिर में पानी टपक रहा है. साथ ही मंदिर को खतरा उत्पन्न हो सकता है. उनका आरोप है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन पौराणिक मंदिरों की मूर्तियों को सालों से कोठरियों में बंद कर रखा हुआ है.

बाबा बागनाथ मंदिर परिसर (फोटो- ETV Bharat)

बाघ रूप में विराजमान हैं भगवान शिव:वैसे तो भगवान शिव के देश व दुनिया में हजारों मंदिर हैं. हर मंदिर की अपनी एक विशेष कथा है, लेकिन देश में भगवान शिव का एक मंदिर ऐसा भी है, जहां भगवान शिव बाघ रूप में विराजमान हैं. माना जाता है कि यहां पर भगवान शिव ने बाघ के रूप में ऋषि मार्कंडेय को आशीर्वाद दिया था. यही वजह है कि इसे बागनाथ मंदिर कहा जाता है.

मंदिर के ऊपर जड़ जमा चुका पेड़ (फोटो- ETV Bharat)

उत्तराखंड में एकमात्र प्राचीन शिव मंदिर है, जो कि दक्षिण मुखी है. जिसमें शिव शक्ति की जल लहरी पूर्व दिशा को है. यहां शिव पार्वती एक साथ स्वयंभू रूप में जल लहरी के मध्य विद्यमान हैं. हालांकि, दोनों निकाय यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और राज्य पुरातत्व विभाग रखरखाव की कमी के लिए प्राथमिक कारण के रूप में बजट की कमी का हवाला देते हैं.

क्या बोले क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी?अल्मोड़ा के क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी चंद्र सिंह चौहान ने फोन पर बताया कि 'मूर्तियों के संरक्षण के प्रति विभाग गंभीर है. संग्रहालय के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रगति पर है. जल्द ही मंदिर की छत की मरम्मत शुरू की जाएगी.'

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Last Updated : Aug 15, 2024, 6:32 PM IST

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