चमोली: उत्तराखंड में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना गांव गांव को सड़क पहुंचा तो रही है, लेकिन इस योजना के अंतर्गत कुछ कार्यदायी संस्थाओं के अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैये के चलते गड़बड़ी के आरोप भी लग रहे हैं. इस कारण केंद्र सरकार की ये महत्वाकांक्षी योजना सवालों के घेरे में है और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है.
सड़क निर्माण में गड़बड़ी का आरोप: ताजा मामला चमोली जिले के देवाल विकासखंड का है. यहां प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत कार्यदायी संस्था एनपीसीसी द्वारा चोटिंग से उदयपुर लग्गा मोटर मार्ग का निर्माण किया जा रहा है. स्थानीय निवासियों का आरोप है कि सड़क निर्माण मानकों को ताक पर रख किया जा रहा है. 9.65 किमी लम्बी इस सड़क पर पर जहां प्रथम चरण में 6 करोड़ 36 लाख रुपये खर्च हुए हैं, वहीं द्वितीय चरण में भी 6 करोड़ 7 लाख रुपये की लागत से सड़क निर्माण का कार्य किया जा रहा है.
मानकों को ताक पर रखने का आरोप: बावजूद इसके करोड़ों की लागत से बन रही इस सड़क के निर्माण में ठेकेदार से लेकर कार्यदायी संस्था पर मानकों के उल्लंघन का आरोप लग रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि सड़क निर्माण का मलबा फेंकने के लिए विभाग के मुताबिक कुल 8 डंपिंग जोन स्वीकृत हैं, जिनमें से 7 डंपिंग जोन का निर्माण किया गया है. लोगों की मानें तो विभाग ने इतने भी डंपिंग जोन नहीं बनाए हैं. जो डंपिंग जोन बनाये भी गए हैं, उनमें मलबा फेंकने की बजाय विभाग और ठेकेदार मनमर्जी से सड़क कटिंग वाले क्षेत्र में ही मलबा फेंक रहे हैं.
पेड़ों की उपेक्षा: तस्वीरें बताती हैं कि किस तरह सड़क निर्माण के लिए पर्यावरणीय मानकों को दरकिनार करते हुए जड़ समेत पेड़ों को उखाड़कर मलबे के साथ ही फेंका गया है. इससे अन्य जीवित पेड़ों के जीवन को भी संकट में डालने का आरोप कार्यदायी संस्था पर लग रहा है. स्थानीय ग्रामीणों ने कार्यदायी संस्था एनपीसीसी और ठेकेदार पर मानकों की अनदेखी कर जगह जगह मलबा फेंकने के साथ ही सड़क पर मानकों के अनुरूप चौड़ीकरण न करने का आरोप लगाया है.