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इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश- दोषी ठहराए बगैर नहीं रोका जा सकता बकाया वेतन और ग्रेच्युटी - Allahabad High Court order - ALLAHABAD HIGH COURT ORDER

शुक्रवार को अपने एक आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि दोषी ठहराए बगैर बकाया वेतन और ग्रेच्युटी को रोका नहीं जा सकता. अदालत ने उप निदेशक राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद कानपुर का आदेश रद्द कर दिया.

इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश (ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 3, 2024, 9:57 PM IST

Updated : May 3, 2024, 10:24 PM IST

प्रयागराज: शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद कानपुर के सेवानिवृत्त मंडी निरीक्षक के ग्रेच्युटी एवं बकाया वेतन का भुगतान रोकने के उप निदेशक प्रशासन एवं वितरण का आदेश रद्द कर दिया. साथ ही रिटायर होने की तिथि से भुगतान करने तक छह प्रतिशत ब्याज सहित बकाया का भुगतान करने का निर्देश दिया.

यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने राजपाल सिंह सेंगर की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया. सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता आशीष कुमार ने कोर्ट को बताया कि याची के खिलाफ सेवाकाल में कोई विभागीय जांच कार्यवाही नहीं की गई और उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर पर अभी तक चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है.

याची को कदाचार का दोषी नहीं ठहराया गया. सेवानिवृत्ति के बाद विभागीय जांच का आदेश देकर सचिव मंडी परिषद ने 1,33,000 रुपये बकाया वेतन व 1,42,000 रुपये ग्रेच्युटी का भुगतान रोक लिया. कोर्ट ने कहा कि दोषी करार दिए बगैर विभाग को वित्तीय हानि के आधार पर किसी सरकारी कर्मचारी का ग्रेच्युटी या बकाया वेतन भुगतान नहीं रोका जा सकता.

कोर्ट ने जांच रिपोर्ट को विभागीय जांच नहीं माना और उप निदेशक राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद का आदेश रद्द कर दिया. याची ने सातवें वेतन आयोग के तहत बकाया वेतन व ग्रेच्युटी का 10 प्रतिशत ब्याज सहित भुगतान की मांग में याचिका की थी. याची पर आरोप है कि उसने मेसर्स बाबा अंबेडकर ट्रेडिंग कंपनी के मंडी लाइसेंस देने में मंडी शुल्क का गबन किया है. उसे नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगा गया कि क्यों न परिषद को हुए नुकसान की वसूली की जाए.

याची 31 मई 2016 को रिटायर हो चुका था.याची ने स्पष्टीकरण में कहा कि 18 जून 2016 को उसका कानपुर से झांसी स्थानांतरण कर दिया गया था. उधर, याची सहित 10 लोगों के खिलाफ कानपुर के नौबस्ता थाने में एफआईआर दर्ज की गई, जिसकी विवेचना पूरी नहीं हुई है. 18 जनवरी 2018 को एक जांच रिपोर्ट के आधार पर उसका भुगतान रोक लिया गया, जिसकी वैधता को याचिका में चुनौती दी गई थी.

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Last Updated : May 3, 2024, 10:24 PM IST

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