प्रयागराज:अदालत आए बिना अपने हस्ताक्षर से झूठा शपथ पत्र दाखिल करने वाले प्रधानाचार्य पर हाईकोर्ट ने दस हजार रुपए हर्जाना लगाया है. कोर्ट ने शपथ पत्र को सत्यापित करने वाले शपथ आयुक्त से भी स्पष्टीकरण मांगा है और महानिबंधक को जांच कर उचित कार्रवाई का निर्देश दिया है. हितकारी किसान इंटर कॉलेज सकौती टांडा मेरठ की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने दिया.
याची कॉलेज की प्रबंध समिति द्वारा निलंबन मामले को लेकर एक याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की गई. याचिका पर कॉलेज के प्रधानाचार्य अनिल कुमार तिवारी की ओर से शपथ पत्र दाखिल किया गया. शपथ पत्र संदिग्ध होने पर कोर्ट ने प्रधानाचार्य को तलब किया था. प्रारंभिक जांच में पता चला कि प्रधानाचार्य ने जिस तिथि पर शपथ पत्र दाखिल किया उस तिथि को वह प्रयागराज आए ही नहीं और मेरठ में थे.
शपथ आयुक्त ने भी शपथ पत्र प्रधानाचार्य की गैर मौजूदगी में सत्यापित कर दिया. कोर्ट शपथ आयुक्त को अपना स्पष्टीकरण महानिबंधक के समक्ष दाखिल करने और महानिबंधक को उस पर उचित कार्रवाई का निर्देश दिया है. साथ कॉलेज के प्रबंधक पर प्रधानाचार्य पर दस दस हज़ार का हर्जाना लगाते हुए याचिका खारिज़ कर दी है.
हाईकोर्ट ने धौरेरा जंगल में 50 से अधिक क्षत-विक्षत गोवंश मिलने के मामले में मांगी जानकारी:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा वृंदावन मार्ग पर पीएमवी पॉलिटेक्निक के सामने धौरेरा के जंगल में 50 से अधिक मृत एवं क्षत-विक्षत हालत में पड़े मिले गोवंशों के लिए शासन-प्रशासन द्वारा उचित कार्यवाही न किए जाने को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सरकार के वकील से जानकारी मांगी है. यह आदेश चीफ जस्टिस अरूण भंसाली एवं जस्टिस क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने दिया. अधिवक्ता प्रह्लाद कृष्ण शुक्ल की जनहित याचिका में 50 से भी अधिक गोवंशों के मृत पड़े मिलने की एसआईटी जांच की मांग की गई है.
साथ ही मथुरा-वृंदावन में संचालित गोशालाओं/गोवंश शेल्टर होम की उचित निगरानी एवं इस मामले में संलिप्त दोषी अधिकारियों एवं गोशालाओं पर कार्यवाही एवं दंडित करने की मांग भी की गई है. याची अधिवक्ता का कहना है कि 50 से अधिक गोवंश का क्षत-विक्षत हालत में मिलना विशेष जांच का विषय है. ऐसी घटनाओं से करोड़ों कृष्ण भक्तों एवं गोप्रेमियों की आस्था को ठेस पहुंचती है. आरोप है कि जिला प्रशासन एवं मथुरा-वृंदावन में संचालित गोशालाएं ठीक से काम नहीं कर रही हैं. उन्होंने जनहित याचिका में पूरे प्रकरण में विरोध दर्ज कराने वाले गोसेवकों पर जिला प्रशासन द्वारा अत्याचार का आरोप भी लगाया है.
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