लखनऊ : राज्यसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से बगावत करते हुए भाजपा के पक्ष में क्राॅस वोटिंग करने वाले सपा विधायकों पर अखिलेश यादव ने चुप्पी साधी हुई है. अखिलेश यादव ने ऐसे विधायकों को नोटिस देने की बात कही थी. केंद्र सरकार ने इनमें से कई विधायकों को वाई श्रेणी की सुरक्षा भी दे दी है. सवाल यह है कि आखिर अखिलेश यादव ने अभय सिंह, मनोज पांडेय, विनोद चतुर्वेदी, पूजा पाल जैसे बगावत करने वाले विधायकों के खिलाफ कार्रवाई या नोटिस जारी क्यों नहीं की?
सदस्यता रद्द करने के लिए किया जाता है पत्राचार :दरअसल, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अगर चाहते तो विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर सभी बागी विधायकों की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की नोटिस आदि जारी करते और पार्टी से भी बाहर का रास्ता दिखा सकते थे. लेकिन, उन्होंने अब तक ऐसा नहीं किया. सपा इस मुद्दे पर अखिलेश यादव के स्तर पर निर्णय लिये जाने की बात कहकर पल्ला झाड़ते हुए नजर आ रही है.
संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार, कोई भी दल के विधायक अगर पार्टी से अलग होकर दूसरे दल के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करते हैं और पार्टी की तरफ से उसकी सदस्यता रद्द करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष से अगर पत्राचार किया जाता है तो कार्रवाई हो सकती है. लेकिन अखिलेश यादव ने सभी बागी विधायकों के खिलाफ न तो पार्टी स्तर पर कोई एक्शन लिया और न ही उनकी सदस्यता रद्द करने की विधानसभा को पत्र लिखा है.
मुद्दे पर साधी चुप्पी :समाजवादी पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि अखिलेश यादव ने भले पहले कहा हो कि विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. लेकिन, अब वह इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं. अब सब कुछ लोकसभा चुनाव के बाद बागी विधायकों के बारे में फैसला लेने की बात जरूर कुछ वरिष्ठ नेताओं से की है.
वहीं, बागी विधायकों में से कई को केंद्र सरकार वाई श्रेणी की सुरक्षा देकर वोट देने का ईनाम दे चुकी है. विधायक अभय सिंह के परिवार के लोगों ने औपचारिक रूप से भाजपा का दामन थाम लिया है. बाकी विधायक लगातार भाजपा के संपर्क में हैं. जल्द ही औपचारिक रूप से सदस्यता ग्रहण करने की तैयारी में हैं.