नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) में कई स्टूडेंट्स को कम अटेंडेंस की वजह से सेमेस्टर परीक्षा देने से रोका गया है और कुछ कॉलेजों में कम हाजिरी पर पैरंट्स के साथ टीचर्स मीटिंग रखी गई है. इसका विरोध करते हुए डीयू की आर्ट्स फैकल्टी में सोमवार को स्टूडेंट्स ने विरोध किया. खासतौर पर यूनिवर्सिटी के शहीद भगत सिंह कॉलेज के 1343 स्टूडेंट्स को एग्जाम देने से रोक लगाने पर स्टूडेंट्स ने कड़ा विरोध किया.
तीन मांगें:
स्टूडेंट्स ने डीन को ज्ञापन देकर मांग रखी और कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शुरू हुए स्किल एनहांसमेंट कोर्स, वैल्यू ऐडेड कोर्स और एबिलिटी एनहांसमेंट कोर्स में न्यूनतम और जरूरी हाजिरी की शर्त को खत्म किया जाए. उपस्थिति के लिए पैरंट्स-टीचर्स मीटिंग का सिलसिला बंद किया जाए और स्टूडेंट्स को परीक्षा देने के लिए तुरंत एडमिट कार्ड जारी किए जाएं.
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स असोसिएशन(आइसा) की अगुवाई में हुए इस प्रदर्शन में डीयू के अलग-अलग कॉलेजों के स्टूडेंट्स शामिल हुए. आइसा की ओर से कहा गया है कि हंसराज कॉलेज, जीजस एंड मैरी कॉलेज, आर्यभट्ट कॉलेज में पैरंट्स-टीचर्स मीटिंग बुलाई गईं हैं. वहीं, शहीद भगत सिंह कॉलेज ने ग्रेडेट डिटेंशन सिस्टम के तहत कई स्टूडेंट्स को एग्जाम देने से रोक दिया है.
स्टूडेंट अनन्या ने बताया कि पैरंट्स-टीचर्स मीटिंग खासतौर पर महिला स्टूडेंट्स के लिए खतरनाक है, जहां कॉलेज उन्हें पैरंट्स की मदद से स्कूल जैसे अनुशासन में बांध कर रख रहा है. आइसा डीयू प्रेजिडेंट शांतनु ने कहा कि स्टूडेंट्स के पैरंट्स की जवाबदेही तय करना बेतुका है, जबकि डीयू प्रशासन की जवाबदेही तय होनी चाहिए.
शहीद भगत सिंह कॉलेज में कम अटेंडेंस की वजह से सेमेस्टर 2, 4, 6 के 1343 स्टूडेंट्स को पेपर देने से रोका है. 50 फीसदी हाजिरी से 66.66 फीसदी अटेंडेंस वाले स्टूडेंट्स को एक पेपर, 30 प्रतिशत से 49.99 प्रतिशत वाले स्टूडेंट्स को दो पेपर, 10 प्रतिशत से 29.99 प्रतिशत अटेंडेंस वाले स्टूडेंट्स को तीन पेपर और 0 प्रतिशत से 9.99 प्रतिशत अटेंडेंस वाले स्टूडेंट्स एक भी पेपर में नहीं बैठने देने का फैसला लिया गया है. कॉलेज के प्रिंसिपल अरुण कुमार अत्रे का कहना है कि सेशन 2023-24 के सेमेस्टर 2, 4 और 6 के लिए न्यूनतम उपस्थिति के प्रावधान को लेकर पिछले सेमेस्टर ही नोटिस जारी हुए और स्टूडेंट्स ने अंडरटेकिंग भी दी थी.