सहारनपुर :कारगिल विजय दिवस के रजत जयंती के मौके पर देश भर में कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. इस अवसर पर जहां सरसावा वायुसेना स्टेशन पर वायुसेना के जाबाजों ने करतब दिखाए वहीं, कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इस दौरान कारगिल युद्ध में शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया गया.
जवानों ने दिखाए करतब :कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती के मौके पर वायुसेना के जवानों ने न सिर्फ लड़ाकू विमानों से करतब दिखाए, बल्कि गरुड़ कमांडो ने 10 हजार फीट से छलांग लगाकर हवा में करतब दिखाते हुए सुरक्षित लैंडिंग कर सबको चौंका दिया. इस दौरान अभूतपूर्व मारक क्षमता वाले जेट विमानों ने अपने करतब दिखाए.
वायु स्टेशन पर एयर शो :शनिवार को कारगिल विजय के रजत जयंती के मौके पर सरसा वायु स्टेशन पर एयर शो हुआ. इस दौरान आसमान में विमानों की तेज आवाज के कारण हुई गड़गड़ाहट से नागरिकों की निगाहें सीधे आसमान पर टिक गईं. आमजन के लिए ये दुर्लभ क्षण था, जब फाइटर जेट बेहद तेज गति के साथ आसमान में आड़े, तिरछे, सीधे तथा लंबवत अवस्था में अपने करतब दिखा रहे थे. एयर शो में शामिल होने वाले युद्धक विमान सुखोई तथा जगुआर बालाकोट एयर स्ट्राइक तथा उससे पूर्व कारगिल में अपनी बेहतरीन क्षमताओं का प्रदर्शन कर ही चुके हैं.
10,000 फीट की ऊंचाई से उतरे कमांडो :एयर शो के दौरान आकाशगंगा टीम के गरुड़ कमांडो 10,000 फीट की ऊंचाई से उतरे. मिसाइल तथा मशीनगनों से लैस एमआई 17 हेलीकॉप्टर से वायु सेना के गरुड़ कमांडो रस्से के सहारे नीचे उतरे. एक एएन 32 और दो डोर्नियर विमान एक फॉर्मेशन में उड़ते हुए आए. फाइटर जेट अंबाला से उड़कर वायुसेना स्टेशन सरसावा के मैदान के ऊपर से तेजी से निकले. जगुआर विमान त्रिशूल फॉर्मेशन में निकले.
बेहद मारक क्षमता और अपने लक्ष्य को सटीकता से भेदने वाले सुखोई 30 जेट विमान को उड़ा रहे पायलट ने हवा में हैरतअंगेज तरीके से विभिन्न मुद्राएं बनाकर शानदार संतुलन क्षमता का परिचय दिया. सुखोई 30 ने 1200 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से उड़ते हुए सैकड़ों फुट की ऊंचाई से नीचे जमीन पर बने टारगेट पर बम बरसाए.
ईटीवी भारत से बातचीत में वायुसेना के मीडिया प्रभारी शांतनु प्रसाद सिंह ने बताया कि कारगिल विजय के 25 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में भारतीय वायु सेना 12 जुलाई से 26 जुलाई 24 तक वायु सेना स्टेशन सरसावा में 'कारगिल विजय दिवस रजत जयंती' मना रही है, जिसमें देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुरों का सम्मान किया जा रहा है. वायु सेना स्टेशन सरसावा की 152 हेलीकॉप्टर यूनिट (एचयू), 'द माइटी आर्मर' ने ऑपरेशन सफेद सागर के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
उन्होंने बताया कि 28 मई 1999 को 152 एचयू के स्क्वाड्रन लीडर आर पुंडीर, फ्लाइट लेफ्टिनेंट एस मुहिलन, सार्जेंट पीवीएनआर प्रसाद और सार्जेंट आरके साहू को तोलोलिंग में दुश्मन के ठिकानों पर लाइव स्ट्राइक के लिए 'नुब्रा' फॉर्मेशन में उड़ान भरने का काम सौंपा गया था. हमले को सफलतापूर्वक अंजाम देने के बाद उनके हेलीकॉप्टर पर दुश्मन की स्टिंगर मिसाइल ने हमला कर दिया, जिससे हमारे चार वीर योद्धा शहीद हो गए. असाधारण साहस के इस कार्य के लिए उन्हें मरणोपरांत वायु सेना पदक (वीरता) से सम्मानित किया गया. उनके सर्वोच्च बलिदान ने यह सुनिश्चित किया कि उनका नाम भारतीय वायुसेना के इतिहास में सदैव अंकित रहेगा.