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गुस्सा दिला सकता है गोल्ड मेडल! वूशु वर्ल्ड चैंपियन मेरठ के 14 वर्षीय शौर्य की कहानी दिलचस्प है, प्रेरित कर देगी

बचपन में बहुत एग्रेशिव था, इसलिए मां-बाप ने खेल में डाला. बन गया दुनिया का नंबर वन खिलाड़ी

9th वर्ल्ड जूनियर वूशु चैंपियनशिप के 48 किलोग्राम वर्ग में शौर्य विजेता बने हैं.
9th वर्ल्ड जूनियर वूशु चैंपियनशिप के 48 किलोग्राम वर्ग में शौर्य विजेता बने हैं. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 8, 2024, 2:21 PM IST

Updated : Oct 8, 2024, 6:58 PM IST

मेरठ :कभी शौर्य का गुस्सा मां-बाप के लिए चिंता बन गया था. शौर्य का एग्रेशन देख वे परेशान रहते थे. आज 14 साल के शौर्य उसी गुस्से की बदौलत मेडल बटोर रहे हैं. 22 से 31 सितंबर तक ब्रुनेई में हुई 9th वर्ल्ड जूनियर वूशु चैंपियनशिप के 48 किलोग्राम वर्ग में शौर्य विजेता बने हैं. उन्होंने अपने ईरानी प्रतिद्वंद्वी अलीरेजा जमानी को हराकर गोल्ड मेडल झटक लिया. अब शौर्य विश्व विजेता हैं. इससे पहले शौर्य नेशनल लेवल की प्रतियोगिताओं में अपना दमखम दिखा चुके थे, लेकिन विश्व फलक पर यह उनकी पहली कामयाबी है. आइए जानते हैं कैसी है शौर्य प्रजापित की विजय गाथा.

9th वर्ल्ड जूनियर वूशु चैंपियनशिप के 48 किलोग्राम वर्ग में विजेता बने शौर्य की कहानी हैरान करने वाली है. (Video Credit; ETV Bharat)

गुस्सा बन गया था परिवार की चिंता का विषय:आज शौर्य ने अपने गुस्से को हुनर में बदलकर रख दिया है, लेकिन कभी उनका यही गुस्सा परिवार के लिए चिंता का विषय बन गया था. मेरठ के मोहकमपुर के शौर्य को पहले गुस्सा बहुत आता था, जिसके चलते अक्सर वह अपने साथ के बच्चों के साथ मारपीट कर लेते थे. आर्थिक रूप से कमजोर परिवार बेटे के व्यवहार से परेशान था. तब शौर्य की उम्र महज 7 साल थी.

वूशु चैंपियन शौर्य अपने परिवार के साथ. (Photo Credit; ETV Bharat)

पिता को मार गया लकवा, मां करती हैं मजदूरी:शौर्य के पिता मुकेश मजदूरी करते थे, लेकिन अचानक वह बीमार हुए और उन्हें लकवा मार गया. ऐसे में परिवार की परवरिश की जिम्मेदारी मां के कंधों पर आ गई. शौर्य तीन भाई-बहन हैं, पिता कुछ काम नहीं कर पाते तो मां मजदूरी करने लगीं. शौर्य की मां पिंकी बताती है कि जब उनके पति पैरालाइज हुए तो लगा जैसे सब कुछ खराब होने वाला है, जीवन जैसे ठहर गया था, लेकिन हार नहीं मानी. आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा, परिवार ने भी साथ दिया. शौर्य के ताई चाचा परिवार के सदस्यों द्वारा काफी सहयोग किया जाता है. जिनकी बदौलत शौर्य ने यह मुकाम हासिल किया है.

वूशु चैंपियन शौर्य अपने परिवार के साथ. (Photo Credit; ETV Bharat)

बेटे के गुस्से को हुनर में ढाला:शौर्य का आक्रामक व्यवहार देख परिवार ने इसे हुनर में ढालने की सोची. इसके बाद शौर्य को वूशु के प्रति जागरूक किया. जब शौर्य महज 7 साल के थे तो उन्हें वूशु के प्रशिक्षण के लिए स्टेडियम भेजना शुरु कर दिया. जल्द ही शौर्य की मेहनत कमाल दिखाने लगी. उसकी प्रतिभा दिन पर दिन निखरकर सामने आने लगी.

नेशनल लेवल तक जीते मेडल :शौर्य की मां पिंकी का कहना है कि उनका बेटा अब तक जिला लेवल, मंडल स्तर, राज्य स्तर औj नेशनल लेवल की प्रतियोगिताओं में अपने वर्ग में मेडल जीतकर लाता रहा है. इसके बाद अंडर -14 चैंपियनशिप में भी ईरान के खिलाड़ी को मात देकर उसने पूरे देश का मान बढ़ाया है.

वुशू चैंपियन शौर्य अपने परिवार के साथ. (Photo Credit; ETV Bharat)

ब्रुनेई में हुई प्रतियोगिता में गोल्ड झटका:शौर्य को बड़ी कामयाबी इस वर्ष 22 से 30 सितंबर तक ब्रुनेई में हुई 9th वर्ल्ड जूनियर वूशु चैंपियनशिप में मिली. यहां शौर्य ने एक के बाद एक तीन मुकाबले अपने नाम कर लिए. शौर्य ने चैंपियनशिप में ईरान के अलीरेजा जमानी को शिकस्त दी और वर्ल्ड चैंपियन बन गए. शौर्य की सफलता ने सबको हैरान कर दिया. वूशु में यह कामयाबी पाने वाले शौर्य प्रदेश से पहले खिलाड़ी हैं. विश्व चैंपियन का तमगा लेकर जब शौर्य अपने घर लौटे तो लोग झूम उठे. अब शौर्य कहते हैं कि गुस्सा बहुत आता है लेकिन देश के लिए लड़ना है.

9th वर्ल्ड जूनियर वूशु चैंपियनशिप के 48 किलोग्राम वर्ग में विजेता शौर्य जब अपने गांव पहुंचे तो लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. (Photo Credit; ETV Bharat)

शौर्य बताते हैं कि अपनी कोच नेहा मैडम के पास प्रशिक्षण ले रहे हैं औऱ उन्हीं के मार्गदर्शन में वह आगे बढ़ रहे हैं. अब यह सोचते हैं कि जीतना है और जीत रर आगे बढ़ना है. जब दूसरे देश में मुकाबला हो रहा था तो वह थोड़े डरे हुए थे, लेकिन उन्होंने इसे परे झटक दिया. लगभग 22 देशों से वहां प्रतिभाग करने खिलाड़ी पहुंचे थे. कहते हैं, मेहनत तो पूरी क़र रहा हूं, अब देखते हैं भगवान क्या चाहते हैं.

कोच नेहा कश्यप भी रही हैं चैंपियन:शौर्य की प्रशिक्षक नेहा कश्यप बताती हैं कि वह कैलाश प्रकाश स्टेडियम में वूशु की कोच हैं औj खुद भी 4 बार की इंटरनेशनल मेडल जीत चुकी हैं. हाल ही में उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार से सम्मानित भी किया था. वह बताती हैं कि शौर्य 2017 में उनके पास स्टेडियम में आया था, तब वह बहुत छोटा था. शुरुआत से ही शौर्य बहुत एक्टिव रहा है. जब भी फाइट कराती थीं तो सभी देखने आ जाते थे.

फिलहाल शौर्य के साथ प्रशिक्षण ले रहे बच्चे भी अपने साथी की सफलता से प्रसन्न हैं. सभी का रोल मॉडल शौर्य बन गये हैं. कोच नेहा का कहना है कि उन्हें पूरा भरोसा है जिस तरह से शौर्य निरंतर मेहनत क़र रहे हैं, एक न एक दिन परिवार के सारे सपने वह पूरे करेंगे.

एक नजर 9th वर्ल्ड जूनियर वूशु चैंपियनशिप पर:9th वर्ल्ड जूनियर वूशु चैंपियनशिप इस साल 22 से 30 सितंबर तक ब्रुनेई में हुई थी. इसमें 50 देशों के 498 खिलाड़ी शामिल हुए थे. इस चैंपियनशिप में भारत ने 7 मेडल जीते थे, जिसमें 2 गोल्ड, एक सिल्वर और 4 ब्रांज थे.

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Last Updated : Oct 8, 2024, 6:58 PM IST

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