रांची: झारखंड में पिछले कुछ वर्षों से कभी न कभी और किसी न किसी भाग में बर्ड फ्लू की पुष्टि हो जा रही है. वर्ष 2023 में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के रांची स्थित आवास पर पाली गयी मुर्गियों में बर्ड फ्लू के वायरस H5N1 मिलने की पुष्टि हुई थी. इस वर्ष अप्रैल महीने में होटवार स्थित पशुपालन विभाग के क्षेत्रीय कुक्कुट प्रक्षेत्र की मुर्गियों में बर्ड फ्लू के वायरस मिले थे, तो इस महीने मोराबादी-बरियातू स्थित रामकृष्ण मिशन आश्रम के फार्म हाउस की मुर्गियों में बर्ड फ्लू के वायरस की पुष्टि हुई है.
बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद पशुपालन विभाग, जिला प्रशासन के साथ साथ स्वास्थ्य महकमा भी अलर्ट मोड में आ जाता है. लेकिन आम जनता में बर्ड फ्लू को लेकर उतनी गंभीरता नहीं आम जनता में नहीं दिखती. ऐसे में एक बड़ा सवाल है कि जब बर्ड फ्लू का संक्रमण पक्षियों से इंसानों में आने की संभावना बहुत ही कम है तो फिर स्वास्थ्य महकमा इतना अलर्ट क्यों हो जाता है?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने रांची सदर अस्पताल के उपाधीक्षक और वरिष्ठ पैथोलॉजिस्ट डॉ बिमलेश कुमार सिंह से बात की. WHO के एक स्टडी का हवाला देते हुए डॉ बिमलेश सिंह ने कहा कि दुनिया भर में अब तक करीब 900 लोगों को बर्ड फ्लू का संक्रमण हुआ है, यह संख्या काफी कम है, लेकिन दुखद बात यह है कि जिन लोगों को बर्ड फ्लू का संक्रमण हुआ उसमें लगभग आधे की मौत हो गयी. यानी इंसानों में भी इसकी मोर्टेलिटी रेट काफी हाई है. इस वजह से कहीं भी बर्ड फ्लू के केस मिलने पर स्वास्थ्य महकमा ज्यादा चौकस और चौकन्ना हो जाती है. ताकि यह इंसानों में न फैले.
ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में डॉ बिमलेश कुमार सिंह कहते हैं कि इसके साथ साथ हम सब जानते हैं कि वायरस में म्यूटेशन बहुत जल्दी जल्दी होता है. कौन सा बदलाव इंसानी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो जाए, यह कोई नहीं जानता, यही वजह है कि हम सबको ज्यादा चौकन्ना रहना होता है. डॉ बिमलेश कुमार सिंह के अनुसार संक्रमित पक्षियों से H5N1 वायरस के इंसानों में आने की संभावना रेयर ऑफ रेयरेस्ट होने के बावजूद यह नहीं कहा जा सकता कि इंसानों को बर्ड फ्लू नहीं हो सकता.
कम से कम 21 दिन तक एहतियात बरतने की जरूरत
बर्ड फ्लू को लेकर ईटीवी भारत के माध्यम से रांची खास कर जिस इलाके में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है, उसके आसपास के इलाकों के लोगों को सावधान और सजग रहने की सलाह देते हुए डॉ बिमलेश सिंह ने कहा कि कम से कम 21 दिन तक सावधानी बरतें. कहीं भी पक्षी की अस्वभाविक मौत होते दिखे तो तत्काल स्वास्थ्य विभाग, पशुपालन विभाग या जिला प्रशासन को इसकी सूचना दें. खुद से उस पक्षी को न छुएं. उन्होंने कहा कि अच्छी तरह कुक यानी पका कर चिकेन खाने से कोई खतरा नहीं है, लेकिन खतरा संक्रमित पक्षी की हैंडलिंग के दौरान संक्रमण की जरूर है. इसलिए 21 दिनों तक चिकेन, अंडा खाने से बचे तो ज्यादा बेहतर है.
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