गोरखपुर: एक तरफ गोरखपुर शहर के बिजली उपभोक्ता अनियमित बिजली आपूर्ति की समस्या झेल रहे हैं, तो वहीं ई रिक्शा की वजह से हर वर्ष करीब 50 लाख यूनिट बिजली नियमों के विपरीत उपयोग में लाई जा रही है. शहर में संचालित करीब दो हजार ई रिक्शा अधिकांशत: घरेलू बिजली से घरों पर चार्ज किए जा रहे हैं. जिनकी चार्जिंग में भी 7 घंटे से अधिक का समय लग रहा है. इनके घरों का बिजली कनेक्शन न तो व्यापारिक कनेक्शन के रूप में तब्दील हुआ है और न ही लोड बढ़ाया जा सका है. ऐसा अपनी जांच में विद्युत वितरण निगम के महानगर कार्यालय ने पाया है. इसके बाद अब वह जांच अभियान चलाकर ऐसे घरों को सख्त हिदायत देने के साथ ही जुर्माना लगाने की तैयारी कर रहा है. अधीक्षण अभियंता लोकेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि विभाग नुकसान उठाए, उपभोक्ता परेशान हों, यह ठीक नहीं है. लिहाजा ई रिक्शा स्वामियों को विभाग के नियमों का पालन करना ही होगा.
बिजली विभाग का अनुमान है कि प्रतिदिन एक ई रिक्शा की बैटरी चार्ज करने में 6 से 7 घंटे लगते हैं. जिसमें करीब 9 यूनिट बिजली की खपत होती है. इन ई रिक्शा का प्रयोग व्यावसायिक हो रहा है और जो बिजली का शुल्क मिल रहा है वह घरेलू है. तमाम लोग बिजली का बिल भी नहीं जमा कर रहे हैं. चोरी से भी ई रिक्शा के चार्ज होने की शिकायतें बिजली विभाग को मिल रही हैं. अनुमान है कि एक वर्ष में इन ई रिक्शा को चार्ज करने में 50 लाख यूनिट बिजली की खपत होती है. इस तरह से करीब 3.5 करोड़ रुपये की चपत विभाग को लग रही है. दूसरी ओर इसका 25% बिल भी विभाग नहीं वसूल पा रहा है. नियमों की अनदेखी कर लोग जान जोखिम में डाल रहे हैं. इन ई रिक्शा का व्यवसायिक उपयोग भी किया जा रहा है. लोगों माल ढुलाई में भी इसका प्रयोग कर रहे हैं. तमाम ई रिक्शा फिटनेस खत्म होने के बाद भी चल रहे हैं. अधीक्षण अभियंता लोकेंद्र बहादुर सिंह ने कहा है कि जल्द ही अभियान शुरू किया जाएगा. यदि रिक्शा को चार्ज करना है तो व्यापारिक कनेक्शन लेना होगा और लोड बढ़ाना पड़ेगा.