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आवास विकास ने लखनऊ के देवा रोड टाउनशिप निजी बिल्डर को सौंपी, बोर्ड मीटिंग में 34 प्रस्ताव पारित - Housing Development Council

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 18, 2024, 9:20 PM IST

Updated : 14 hours ago

लखनऊ में आवास विकास परिषद के बोर्ड की बैठक में कई प्रस्तावों पर मुहर लगी. इसमें देवा रोड स्थित टाउनशिप निजी बिल्डर को सौंप दी गई है.

आवास विकास परिषद बोर्ड की बैठक.
आवास विकास परिषद बोर्ड की बैठक. (Etv Bharat)

लखनऊ: आवास विकास परिषद के बोर्ड की बैठक बुधवार को हुई. बैठक में कई प्रस्तावों पर मुहर लगी. परिषद ने अपने निदेशक मंडल की बैठक में 34 प्रस्ताव पास किए. बाराबंकी के देवा रोड पर 46 एकड़ की आवासीय योजना शालीमार लिमिटेड को सौंप दी गई है.

निजी कंपनी विकसित करेगी इंटीग्रेटेड टाउनशिपःअपर आवास आयुक्त डॉ. नीरज शुक्ला ने बताया कि करीब 10 साल पहले बाराबंकी के देवा रोड पर 46 एकड़ की आवासीय योजना लाने के लिए बोर्ड में प्रस्ताव किया गया था. लेकिन इस प्रस्ताव के बाद आगे की कार्यवाही नहीं शुरू की गई. आखिरकार इंटीग्रेटेड टाउनशिप के तहत शालीमार लिमिटेड को यहां का लाइसेंस दे दिया गया है. उन्होंने बताया कि जिस दौरान आवास विकास परिषद योजना पर कोई काम नहीं कर रहा था, तब शालीमार लिमिटेड ने यहां 40% से अधिक जमीन खरीद ली. इस वजह से उनको यहां पर इंटीग्रेटेड टाउनशिप का लाइसेंस दे दिया गया. दूसरी ओर शालीमार लिमिटेड के मुख्य निदेशक खालिद मसूद ने बताया कि आवास विकास परिषद ने इस जमीन पर कोई कार्यवाही नहीं की थी. पिछले डेढ़ साल में यहां जमीन खरीदी है. इसीलिए यहां पर इंटीग्रेटेड टाउनशिप विकसित करने के लिए लाइसेंस मिला है.

बहुमंजिली इमारतों में IIT स्तर पर करना होगा स्ट्रक्चरल ऑडिट:आवास आयुक्त ने बताया कि आवास विकास परिषद अपनी योजनाओं में ग्रुप हाउसिंग और अन्य ऊंची इमारत का कंप्लीशन सर्टिफिकेट तभी देगा जब IIT या NIT जैसी बड़ी संस्थाओं से स्ट्रक्चरल ऑडिट कराकर सर्टिफिकेट दिया जाएगा. हाल ही में लखनऊ के ट्रांसपोर्ट नगर में बिल्डिंग गिरने की घटना के बाद यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है. 2014 के बाद जिन किसानों को पहले की दर पर मुआवजा मिल चुका है, उनको नई दर पर मुआवजा देने का निर्णय लिया गया है. किसानों को समझौते के आधार पर शहरी क्षेत्र में सर्किल रेट का दोगुना और ग्रामीण क्षेत्र में सर्किल रेट का चार गुना मुआवजा दिया जाएगा. लगभग 100000 किसानों को इससे लाभ होने की संभावना है.

42 साल से था कब्जा अब दाम देकर खरीदेगी मेरठ पुलिस:मेरठ के ट्रांसपोर्ट नगर में 1982 में हुए दंगे के दौरान पुलिस को आवास विकास परिषद में 12 दुकान और एक ऑफिस कंपलेक्स अस्थाई तौर पर दिया था. इसके बावजूद पिछले 42 साल से पुलिस ने यहां से अपना कब्जा नहीं छोड़ा था. पुलिस के ऑफिस यहां विकसित किया जा चुके हैं. आखिरकार आवास विकास परिषद की बोर्ड मीटिंग में यह तय किया गया है कि अब यह जमीन वर्तमान दर पर पुलिस विभाग को बेची जाएगी.

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